Pradhan Mantri Krishi Sinchai Yojana: भारत एक कृषि प्रधान देश है। हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ किसान हैं और उनकी खुशहाली पूरे देश की प्रगति की कुंजी है। लेकिन एक बड़ी चुनौती हमेशा से रही है – पानी की अनिश्चितता। मानसून की अनियमितता, सूखा, और सिंचाई सुविधाओं की कमी ने किसानों के सामने मुश्किलें खड़ी कर दी थीं।
इन्हीं चुनौतियों को ध्यान में रखकर, भारत सरकार ने 1 जुलाई, 2015 को एक महत्वाकांक्षी योजना की शुरुआत की – Pradhan Mantri Krishi Sinchai Yojana (PMKSY)। यह योजना सिर्फ पानी पहुंचाने के बारे में नहीं है; यह ‘हर खेत को पानी’ और ‘प्रति बूंद अधिक फसल’ के सिद्धांत पर काम करते हुए, कृषि क्षेत्र में क्रांति लाने और किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में एक मजबूत कदम है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का मुख्य लक्ष्य देश के हर खेत तक सुरक्षित सिंचाई की पहुंच सुनिश्चित करना है, चाहे वह बारिश का पानी संचय करके हो, नदियों के जल को नियंत्रित करके हो या फिर आधुनिक माइक्रो-इरिगेशन तकनीकों के जरिए।
भारतीय कृषि में सिंचाई की चुनौती: Pradhan Mantri Krishi Sinchai Yojana की जरूरत क्यों पड़ी?
भारत में कुल कृषि योग्य भूमि का एक बड़ा हिस्सा आज भी वर्षा पर निर्भर है। मानसून की अनियमितता सीधे तौर पर फसल उत्पादन और किसान की आमदनी को प्रभावित करती है। पारंपरिक सिंचाई पद्धतियाँ अक्सर पानी की बहुत बर्बादी करती हैं, जिससे जल स्तर गिरने की गंभीर समस्या पैदा हो रही है। साथ ही, देश के कई हिस्सों में सिंचाई के बुनियादी ढांचे की कमी या उसका असमान वितरण एक बड़ी बाधा रहा है। इन सभी कारणों ने कृषि उत्पादकता बढ़ाने, जल संरक्षण को बढ़ावा देने और किसानों की आजीविका में सुधार लाने के लिए एक समग्र और एकीकृत दृष्टिकोण वाली योजना की मांग की। PM Kisan Sinchai Yojana इन्हीं जरूरतों को पूरा करने के लिए तैयार की गई है, जो न सिर्फ पानी पहुंचाती है बल्कि उसके कुशल उपयोग पर भी जोर देती है।
Pradhan Mantri Krishi Sinchai Yojana (PMKSY) का उद्देश्य: सपनों को सींचना
Pradhan Mantri Krishi Sinchai Yojana केवल नहरें खोदने या नलकूप लगाने तक सीमित नहीं है। इसके व्यापक और दूरगामी उद्देश्य हैं, जो कृषि क्षेत्र को टिकाऊ बनाने पर केंद्रित हैं:
- खेत स्तर पर सिंचाई निवेशों का अभिसरण (Convergence): जिला और उप-जिला स्तर पर जल उपयोग योजनाएं बनाकर विभिन्न विभागों (जल संसाधन, कृषि, ग्रामीण विकास) के कामों को एक सूत्र में पिरोना। यानी अलग-अलग योजनाओं का पैसा और प्रयास बिखरने के बजाय एक जगह मिलकर काम करे।
- ‘हर खेत को पानी’ (Har Khet Ko Pani): खेत तक पानी की शारीरिक पहुंच बेहतर करना और सुनिश्चित सिंचाई के तहत खेती योग्य भूमि का क्षेत्रफल बढ़ाना। यह सुनिश्चित करना कि कोई भी खेत सिंचाई सुविधा से वंचित न रहे।
- जल संसाधनों का एकीकृत विकास: जल स्रोत (नदी, तालाब, भूजल), वितरण नेटवर्क (नहरें, पाइपलाइन) और खेत स्तर पर कुशल उपयोग (ड्रिप, स्प्रिंकलर) को एक साथ जोड़कर उपयुक्त तकनीकों के माध्यम से जल का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करना।
- खेत पर जल उपयोग दक्षता में वृद्धि: पानी की बर्बादी को कम करना और सिंचाई की उपलब्धता को समय और क्षेत्रफल दोनों में बेहतर बनाना। सही समय पर सही मात्रा में पानी मिलना किसान के लिए सबसे जरूरी है।
- ‘प्रति बूंद अधिक फसल’ (Per Drop More Crop): सटीक सिंचाई (Precision Irrigation) और अन्य जल-बचत तकनीकों (Water Saving Technologies) के उपयोग को बढ़ावा देना। ड्रिप और स्प्रिंकलर जैसी माइक्रो-इरिगेशन तकनीकें इसका मुख्य आधार हैं।
- जल संरक्षण एवं भूजल पुनर्भरण: वर्षा जल संचयन (Rainwater Harvesting), जलग्रहण क्षेत्र विकास (Watershed Development) और अन्य दीर्घकालिक उपायों के माध्यम से भूजल स्तर को रिचार्ज करना और जल संरक्षण को बढ़ावा देना।
- वर्षाधारित क्षेत्रों का समेकित विकास: जलग्रहण दृष्टिकोण (Watershed Approach) का उपयोग करके वर्षाधारित क्षेत्रों में मिट्टी और जल संरक्षण, भूजल पुनर्जनन, अपवाह रोकथाम और अन्य प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन (Natural Resource Management – NRM) गतिविधियों को बढ़ावा देना।
- किसान जागरूकता एवं क्षमता निर्माण: जल संचयन (Water Harvesting), जल प्रबंधन (Water Management) और फसल संरेखण (Crop Alignment) से संबंधित विस्तार गतिविधियों के माध्यम से किसानों और क्षेत्र स्तर के कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहित करना और उनकी क्षमता बढ़ाना।
- अपशिष्ट जल का कृषि में उपयोग: शहरी क्षेत्रों के आसपास (पेरी-अर्बन) कृषि के लिए उपचारित नगरपालिका अपशिष्ट जल (Treated Municipal Wastewater) के उपयोग की व्यवहार्यता का पता लगाना और उसे बढ़ावा देना।
- निजी निवेश को आकर्षित करना: सिंचाई क्षेत्र में निजी निवेश (Private Investment in Irrigation) को बढ़ावा देना ताकि नवाचार और संसाधनों का प्रवाह तेज हो।
Pradhan Mantri Krishi Sinchai Yojana की मजबूत नींव: योजना के प्रमुख घटक
Pradhan Mantri Krishi Sinchai Yojana की ताकत इसके अभिसरण मॉडल में निहित है। यह कई मौजूदा योजनाओं और नए प्रयासों को एक छतरी के नीचे लाती है। आइए समझते हैं इसके प्रमुख घटकों को:
1. त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (AIBP – Accelerated Irrigation Benefit Programme)
- उद्देश्य: राज्यों को वित्तीय सहायता प्रदान करके बड़े और मध्यम सिंचाई परियोजनाओं (Major & Medium Irrigation Projects) को तेजी से पूरा कराना।
- इतिहास: केंद्र सरकार द्वारा 1996 में शुरू किया गया। Pradhan Mantri Krishi Sinchai Yojana के अंतर्गत शामिल किया गया।
- फोकस: जनजातीय और सूखा प्रभावित क्षेत्रों (Drought Prone Areas) को प्राथमिकता देना। परियोजनाओं के शीघ्र पूरा होने पर जोर।
- लाभ: बांध, नहर नेटवर्क जैसे बड़े बुनियादी ढांचे का निर्माण, जिससे बड़े क्षेत्रों में सिंचाई सुनिश्चित होती है।
2. हर खेत को पानी (Har Khet Ko Pani – HKKP)
- उद्देश्य: सुनिश्चित सिंचाई के तहत खेती योग्य भूमि का विस्तार करना, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां सिंचाई सुविधाएं अभी तक नहीं पहुंची हैं।
- गतिविधियाँ:
- छोटे सिंचाई जलाशयों (Small Water Bodies) का निर्माण और पुनर्जीवन।
- जल स्रोतों का नवीनीकरण (Renovation of Water Sources)।
- नहरों का आधुनिकीकरण और सुदृढ़ीकरण (Canal Modernization & Strengthening)।
- भूजल विकास (Groundwater Development) जहां व्यवहार्य हो।
- बाढ़ प्रवण क्षेत्रों में वर्षा जल का उपयोग।
- महत्व: यह Pradhan Mantri Krishi Sinchai Yojana का केंद्रीय घटक है, जो सीधे तौर पर ‘हर खेत को पानी’ के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में काम करता है।
3. प्रति बूंद अधिक फसल – सूक्ष्म सिंचाई (Per Drop More Crop – Micro Irrigation – PDMC-MI)
- उद्देश्य: खेत स्तर पर जल उपयोग दक्षता (On-Farm Water Use Efficiency) में क्रांतिकारी सुधार लाना।
- प्रमुख तकनीक: ड्रिप इरिगेशन (Drip Irrigation) और स्प्रिंकलर इरिगेशन (Sprinkler Irrigation) को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देना।
- लाभ:
- पानी की बचत (30-50% तक)।
- उर्वरक उपयोग दक्षता में वृद्धि (Fertilizer Use Efficiency)।
- फसल उत्पादन और गुणवत्ता में वृद्धि।
- ऊर्जा की बचत (कम पानी पंप करना पड़ता है)।
- खरपतवार नियंत्रण में आसानी।
- ढलानदार और बंजर भूमि पर भी खेती संभव।
- योजना: राष्ट्रीय सूक्ष्म सिंचाई मिशन (NMMI) को जून 2010 में मंजूरी मिली और इसे Pradhan Mantri Krishi Sinchai Yojana के तहत शामिल किया गया। किसानों को सब्सिडी प्रदान की जाती है।
4. प्रति बूंद अधिक फसल – अन्य हस्तक्षेप (Per Drop More Crop – Other Interventions – PDMC-OI)
- उद्देश्य: जल बचत और उपयोग दक्षता बढ़ाने के लिए सूक्ष्म सिंचाई के अलावा अन्य तकनीकों और पद्धतियों को बढ़ावा देना।
- मुख्य गतिविधियाँ:
- जल न्यासी कृषि (Water User Associations – WUAs) को मजबूत बनाना।
- कमांड एरिया डेवलपमेंट (CAD) कार्यक्रमों का क्रियान्वयन।
- लेजर लेवलिंग (Laser Levelling) जैसी भूमि विकास तकनीकों को प्रोत्साहन।
- जल भंडारण संरचनाओं (ऑन-फार्म पोंड) का निर्माण।
- फसल विविधीकरण (Crop Diversification) और कम पानी वाली फसलों को बढ़ावा।
- जल प्रबंधन में डिजिटल तकनीकों (Digital Water Management) का उपयोग।
5. जलग्रहण विकास (Watershed Development)
- उद्देश्य: वर्षाधारित क्षेत्रों में मिट्टी के कटाव को रोकना, वर्षा जल का संचयन करना, भूजल स्तर में सुधार करना और कृषि उत्पादकता बढ़ाना।
- प्रशासन: पहले ग्रामीण विकास मंत्रालय के अंतर्गत भूमि संसाधन विभाग द्वारा संचालित। Pradhan Mantri Krishi Sinchai Yojana के तहत अभिसरित।
- दृष्टिकोण: सूखा प्रवण क्षेत्र कार्यक्रम (DPAP), रेगिस्तान विकास कार्यक्रम (DDP) और एकीकृत जलग्रहण प्रबंधन कार्यक्रम (IWMP) जैसी योजनाओं के अनुभवों को समाहित करता है।
- गतिविधियाँ: मिट्टी और नमी संरक्षण संरचनाएं (चेक डैम, गेबियन, कंटूर ट्रेंचिंग), वृक्षारोपण, चरागाह विकास, जलग्रहण समितियों का गठन।
6. मनरेगा के साथ अभिसरण (Convergence with MGNREGA)
- उद्देश्य: महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) के तहत उपलब्ध श्रम और संसाधनों का उपयोग करके Pradhan Mantri Krishi Sinchai Yojana के लक्ष्यों को प्राप्त करना।
- लाभ:
- ग्रामीण रोजगार सृजन को बढ़ावा।
- सिंचाई से संबंधित भूमि विकास, जल संचयन संरचनाओं (तालाब, डिग्गी, फार्म पोंड), नाली खोदने, वाटरशेड विकास कार्यों में MGNREGA श्रम का उपयोग।
- स्थायी परिसंपत्ति निर्माण।
- सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा।
PMKSY के लाभार्थी: कौन उठा सकता है इस योजना का लाभ?
Pradhan Mantri Krishi Sinchai Yojana का मुख्य उद्देश्य देश के किसानों को सशक्त बनाना है। योजना के लाभार्थियों (Beneficiaries of Pradhan Mantri Krishi Sinchai Yojana) में शामिल हैं:
- सभी वर्गों के किसान: छोटे, सीमांत, बड़े, अनुसूचित जाति/जनजाति के किसान – सभी पात्र हैं। योजना किसान की जमीन के आकार या सामाजिक वर्ग पर भेदभाव नहीं करती।
- जमीन के मालिक किसान: योजना का लाभ उठाने के लिए आवेदक के पास कृषि योग्य भूमि का स्वामित्व होना अनिवार्य है। जमीन के कागजात (Land Ownership Papers) जमा करने होते हैं।
- स्वयं सहायता समूह (SHGs), ट्रस्ट, सहकारी समितियाँ और उत्पादक किसान समूह (FPOs): ये संस्थाएं सामूहिक रूप से पंजीकरण कराकर योजना के तहत सूक्ष्म सिंचाई जैसी सुविधाओं का लाभ उठा सकती हैं।
- पट्टे पर खेती करने वाले किसान: जो किसान किराए पर या पट्टे पर (Leasing Agreement) जमीन लेकर खेती करते हैं, वे भी पीएम कृषि सिंचाई योजना के लिए आवेदन कर सकते हैं। उन्हें पट्टे का समझौता दिखाना होगा।
- भारतीय नागरिक: यह योजना केवल भारतीय नागरिकों (Indian Citizens) के लिए ही उपलब्ध है।
आवेदन के लिए जरूरी दस्तावेज: तैयार रखें ये कागजात
Pradhan Mantri Krishi Sinchai Yojana, विशेषकर इसके ‘प्रति बूंद अधिक फसल’ (सूक्ष्म सिंचाई) घटक के लिए आवेदन करते समय निम्नलिखित दस्तावेजों (Documents Required for Pradhan Mantri Krishi Sinchai Yojana) की आवश्यकता होती है:
- आधार कार्ड (Aadhaar Card): आवेदक का वैध आधार कार्ड।
- पहचान प्रमाण (Identity Proof): मतदान पहचान पत्र, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस आदि।
- निवास प्रमाण (Address Proof): राशन कार्ड, बिजली बिल, पानी बिल आदि।
- जाति प्रमाण पत्र (Caste Certificate): यदि आवेदक अनुसूचित जाति/जनजाति या अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंधित है (यदि लागू हो)।
- राज्य का डोमिसाइल प्रमाण पत्र (Domicile Certificate of State): यह साबित करने के लिए कि आवेदक राज्य का निवासी है।
- पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ (Passport Sized Photographs): हालिया फोटो।
- मोबाइल नंबर (Mobile Number): पंजीकृत मोबाइल नंबर जिस पर OTP और अपडेट मिल सकें।
- बैंक खाता पासबुक/कैंसिल चेक (Bank Account Passbook/Cancelled Cheque): आवेदक के नाम का सक्रिय बैंक खाता जिसमें लाभ राशि (सब्सिडी) प्राप्त हो सके।
- कृषि भूमि के कागजात (Agricultural Land Papers): जमीन के स्वामित्व का प्रमाण (खतौनी/खसरा नंबर, रजिस्ट्री दस्तावेज)। पट्टेदारों को पट्टा समझौता।
- घर प्रमाण पत्र (House Certificate): कुछ राज्यों में स्थानीय प्रशासन द्वारा जारी।
- भूमि की मृदा रिपोर्ट (Soil Health Card): कभी-कभी इसकी भी आवश्यकता हो सकती है।
- अन्य: विशिष्ट घटक (जैसे वाटरशेड विकास) या राज्य-विशिष्ट आवश्यकताओं के लिए अतिरिक्त दस्तावेजों की आवश्यकता हो सकती है।
PMKSY में आवेदन कैसे करें? प्रक्रिया को समझें
Pradhan Mantri Krishi Sinchai Yojana के विभिन्न घटकों के लिए आवेदन प्रक्रिया (Application Process for PMKSY) थोड़ी भिन्न हो सकती है, खासकर राज्यों के अनुसार। हालांकि, ‘प्रति बूंद अधिक फसल’ (सूक्ष्म सिंचाई) के लिए सामान्य प्रक्रिया इस प्रकार है:
- पात्रता जांच: सबसे पहले यह सुनिश्चित करें कि आप योजना के पात्रता मानदंडों को पूरा करते हैं (जैसे भूमि स्वामित्व/पट्टा, भारतीय नागरिकता)।
- आधिकारिक पोर्टल या कार्यालय: अपने राज्य की कृषि विभाग या सूक्ष्म सिंचाई विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएँ। कई राज्यों के पीएमकेएसवाई-पीडीएमसी के लिए विशेष पोर्टल हैं (जैसे उत्तर प्रदेश का https://upagriculture.com/pmksy, कर्नाटक का https://raitamitra.karnataka.gov.in)। वैकल्पिक रूप से, आप अपने ब्लॉक/तहसील कार्यालय या जिला कृषि अधिकारी (DAO) के कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं।
- आवेदन फॉर्म प्राप्त करें: ऑनलाइन पोर्टल से फॉर्म डाउनलोड करें या संबंधित कार्यालय से प्राप्त करें।
- फॉर्म भरें और दस्तावेज संलग्न करें: फॉर्म को ध्यानपूर्वक भरें और सभी आवश्यक दस्तावेजों (ऊपर सूचीबद्ध) की स्व-सत्यापित प्रतियां संलग्न करें।
- सबमिशन: भरे हुए फॉर्म और दस्तावेजों को ऑनलाइन सबमिट करें या निर्दिष्ट कार्यालय (जैसे ब्लॉक कृषि अधिकारी, कृषि तकनीकी प्रबंधक – ATM) में जमा करें।
- साइट वेरिफिकेशन: आवेदन प्राप्त होने के बाद, एक अधिकारी आपके खेत का दौरा करेगा (Site Inspection) ताकि यह सत्यापित किया जा सके कि सूक्ष्म सिंचाई सिस्टम लगाना व्यवहार्य है और आवेदन में दी गई जानकारी सही है।
- सब्सिडी स्वीकृति: साइट वेरिफिकेशन सफल होने और सभी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद, सब्सिडी राशि (Subsidy Amount) को मंजूरी दे दी जाती है। आपको एक अनुमोदन पत्र (Approval Letter) मिल सकता है।
- उपकरण चयन और स्थापना: आमतौर पर, किसान को राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित और गुणवत्ता प्रमाणित आपूर्तिकर्ताओं (Empanelled Vendors) की सूची से सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली चुननी होती है। चयन के बाद, आपूर्तिकर्ता सिस्टम की स्थापना करता है।
- सब्सिडी प्राप्ति: स्थापना पूरी होने और अंतिम जांच (Final Inspection) के बाद, सब्सिडी की राशि सीधे आवेदक के बैंक खाते में डीबीटी (Direct Benefit Transfer – DBT) के माध्यम से भेज दी जाती है। किसान आमतौर पर सिस्टम की कुल लागत का एक हिस्सा ही अदा करता है।
राज्यवार क्रियान्वयन और प्रगति: जमीनी हकीकत
Pradhan Mantri Krishi Sinchai Yojanaका क्रियान्वयन जमीनी स्तर पर मुख्य रूप से राज्य सरकारों द्वारा किया जाता है। केंद्र सरकार नीति निर्माण, फंडिंग और समन्वय का काम करती है। प्रत्येक राज्य ने अपनी जलवायु, भौगोलिक परिस्थितियों और कृषि आवश्यकताओं के अनुरूप योजना को अपनाया है। यही कारण है कि सब्सिडी की दरें, प्राथमिकता वाले क्षेत्र और आवेदन प्रक्रिया में राज्यों के बीच भिन्नता देखने को मिलती है।
- सब्सिडी दरों में भिन्नता: सामान्य श्रेणी के किसानों, एससी/एसटी किसानों, छोटे और सीमांत किसानों के लिए सब्सिडी की दरें राज्यों में अलग-अलग हो सकती हैं। कुछ राज्य अतिरिक्त प्रोत्साहन भी देते हैं।
- प्राथमिकता वाले क्षेत्र: सूखा प्रभावित क्षेत्र, जल दोहन वाले क्षेत्र, अनुसूचित जाति/जनजाति बहुल क्षेत्रों को कुछ राज्यों में प्राथमिकता दी जाती है।
- क्रियान्वयन एजेंसियाँ: जिला स्तर पर जिला सिंचाई मिशन या जिला कृषि अधिकारी कार्यालय मुख्य भूमिका निभाते हैं। कई राज्यों ने विशेष राज्य सिंचाई मिशन (State Irrigation Mission) भी गठित किए हैं।
- प्रगति रिपोर्ट: कृषि मंत्रालय समय-समय पर Pradhan Mantri Krishi Sinchai Yojana की प्रगति पर रिपोर्ट जारी करता है। इसमें सूक्ष्म सिंचाई के तहत कवर किए गए क्षेत्र, जलग्रहण क्षेत्रों का विकास, AIBP परियोजनाओं की पूर्णता आदि के आंकड़े शामिल होते हैं। नीचे कुछ राज्यों की उदाहरणात्मक जानकारी दी गई है (ध्यान रहे, आंकड़े बदलते रहते हैं, ताजा जानकारी के लिए राज्य के पोर्टल देखें):
राज्यवार PMKSY (PDMC-MI) कार्यान्वयन का संक्षिप्त अवलोकन (उदाहरणात्मक):
| राज्य | प्रमुख फोकस क्षेत्र | सब्सिडी दर (सामान्य) | सब्सिडी दर (एससी/एसटी/छोटे किसान) | आवेदन पोर्टल (उदाहरण) | विशेष पहल |
|---|---|---|---|---|---|
| महाराष्ट्र | सूखा प्रभावित जिले, ड्रिप सब्सिडी | 50-55% | 55-60% | https://mahadbt.maharashtra.gov.in | ‘जलयुक्त शिवर’ अभियान के साथ अभिसरण |
| गुजरात | कपास, मूंगफली क्षेत्र, स्प्रिंकलर | 50% | 55% | https://ikhedut.gujarat.gov.in | सोलर पंपों के साथ एकीकरण |
| तमिलनाडु | नारियल, गन्ना, सब्जियां | 100% (छोटे किसानों के लिए कुछ योजनाओं में) | 100% (कुछ योजनाओं में) | https://www.tn.gov.in/agriculture/ | उच्च सब्सिडी दरें |
| कर्नाटक | कॉफी बागान, बागवानी फसलें | 90% (5 एकड़ तक) | 90% (5 एकड़ तक) | https://raitamitra.karnataka.gov.in | बागवानी पर विशेष जोर |
| उत्तर प्रदेश | गन्ना, अनाज, सब्जियां | 80% (पॉलीहाउस के साथ) | 85% (पॉलीहाउस के साथ) | https://upagriculture.com/pmksy | ‘किसान बही’ के साथ लिंकेज |
| राजस्थान | जल दोहन वाले क्षेत्र, जल संरक्षण | 55% | 60% | https://agriculture.rajasthan.gov.in | जलग्रहण विकास पर जोर |
| आंध्र प्रदेश | चावल, मिर्च, फल | 90% (5 एकड़ तक) | 90% (5 एकड़ तक) | https://apmicroirrigation.ap.gov.in | उच्च सब्सिडी, किसान पंजीकरण प्रणाली |
PMKSY का प्रभाव और चुनौतियाँ: एक मूल्यांकन
Pradhan Mantri Krishi Sinchai Yojana के शुरू होने के बाद से देश के कृषि और सिंचाई परिदृश्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है:
सकारात्मक प्रभाव (Impact of PMKSY):
- सिंचित क्षेत्र में विस्तार: लाखों हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि को सुनिश्चित सिंचाई के अंतर्गत लाया गया है, विशेषकर ‘हर खेत को पानी’ और AIBP घटकों के माध्यम से।
- सूक्ष्म सिंचाई का तेजी से प्रसार: ‘प्रति बूंद अधिक फसल’ घटक के तहत ड्रिप और स्प्रिंकलर सिस्टम का तेजी से विस्तार हुआ है, जिससे पानी की काफी बचत हुई है।
- जल उपयोग दक्षता में सुधार: माइक्रो-इरिगेशन तकनीकों ने खेत स्तर पर पानी के इस्तेमाल की दक्षता में उल्लेखनीय वृद्धि की है, जिससे ‘प्रति बूंद अधिक फसल’ का लक्ष्य आगे बढ़ा है।
- किसान आय में संभावित वृद्धि: बेहतर सिंचाई और पानी के कुशल उपयोग से फसल उत्पादन और गुणवत्ता में सुधार हुआ है, जिससे किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिली है।
- जल संरक्षण जागरूकता: योजना ने वर्षा जल संचयन, भूजल पुनर्भरण और सामुदायिक जल प्रबंधन के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाई है।
- बुनियादी ढांचे का निर्माण: AIBP और HKKP के तहत बड़ी संख्या में सिंचाई परियोजनाएं पूरी हुई हैं और नई संरचनाएं बनी हैं।
चुनौतियाँ और आगे का रास्ता (Challenges & Future Roadmap):
- अभिसरण की जटिलता: विभिन्न विभागों (जल संसाधन, कृषि, ग्रामीण विकास) के बीच प्रभावी समन्वय (Effective Coordination) स्थापित करना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। कई बार योजनाएं ओवरलैप होती हैं या संसाधनों का बंटवारा स्पष्ट नहीं होता।
- भूमि अभिलेखों का मुद्दा: खासकर छोटे और सीमांत किसानों के मामले में, भूमि के स्पष्ट और अद्यतन अभिलेखों की कमी (Land Record Issues) आवेदन प्रक्रिया में बाधा बनती है। पट्टेदार किसानों को लाभ पहुंचाना विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण है।
- पर्याप्त फंडिंग और समय पर रिलीज: योजना के लिए पर्याप्त बजट आवंटन और उसका समय पर राज्यों तक पहुंचना (Timely Fund Release) एक निरंतर चिंता का विषय है, जिससे कार्यान्वयन की गति प्रभावित होती है।
- किसान जागरूकता और स्वीकृति: खासकर पारंपरिक सिंचाई पद्धतियों वाले इलाकों में, किसानों को माइक्रो-इरिगेशन जैसी आधुनिक तकनीकों के फायदे बताने और उन्हें अपनाने के लिए प्रेरित करने (Farmer Awareness & Adoption) की आवश्यकता है। प्रशिक्षण और हाथ पकड़कर सिखाने की जरूरत है।
- गुणवत्ता नियंत्रण और रखरखाव: सूक्ष्म सिंचाई प्रणालियों की गुणवत्ता सुनिश्चित करना और किसानों को उनके रखरखाव (Maintenance of Systems) के लिए सहायता प्रदान करना महत्वपूर्ण है। खराब गुणवत्ता वाले उपकरण योजना की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाते हैं।
- जल स्रोतों का सतत प्रबंधन: सिंचाई सुविधाएं बढ़ाने के साथ-साथ जल स्रोतों (विशेषकर भूजल) के सतत प्रबंधन (Sustainable Water Management) पर समान ध्यान देना जरूरी है। वरना दोहन बढ़ सकता है।
भविष्य की रणनीति:
- डिजिटलाइजेशन: आवेदन प्रक्रिया से लेकर निगरानी तक में डिजिटल टूल्स (जैसे GIS मैपिंग, रिमोट सेंसिंग, मोबाइल ऐप्स) का अधिक उपयोग।
- किसान केंद्रित दृष्टिकोण: किसानों की जरूरतों को बेहतर समझना, उन्हें योजना डिजाइन और क्रियान्वयन में शामिल करना।
- निजी क्षेत्र की भागीदारी: सिंचाई प्रौद्योगिकी, सेवा प्रदान और रखरखाव में निजी निवेश को बढ़ावा देना।
- जल संरक्षण पर जोर: वाटरशेड डेवलपमेंट और रेनवाटर हार्वेस्टिंग को और प्राथमिकता देना।
- क्लाइमेट-स्मार्ट कृषि: जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए पीएमकेएसवाई को जलवायु-स्मार्ट कृषि पद्धतियों (Climate-Smart Agriculture) के साथ जोड़ना।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs): प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के बारे में
Q1: PM Kisan Sinchai Yojana का फुल फॉर्म क्या है?
Ans: प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (Pradhan Mantri Krishi Sinchai Yojana – PMKSY).
Q2: Pradhan Mantri Krishi Sinchai Yojana का मुख्य उद्देश्य क्या है?
Ans: योजना का मुख्य उद्देश्य ‘हर खेत को पानी’ (Har Khet Ko Pani) पहुंचाना और ‘प्रति बूंद अधिक फसल’ (Per Drop More Crop) के सिद्धांत पर काम करते हुए देश के हर कृषि भूमि तक सुरक्षित सिंचाई सुनिश्चित करना, जल उपयोग दक्षता बढ़ाना और किसानों की आय बढ़ाना है।
Q3: क्या पट्टे पर खेती करने वाले किसान (Tenant Farmers) PMKSY का लाभ उठा सकते हैं?
Ans: हाँ, पट्टे पर खेती करने वाले किसान भी योजना के लिए आवेदन करने के पात्र हैं। उन्हें पट्टे का वैध समझौता (Leasing Agreement) दिखाना होगा और भूमि मालिक की सहमति प्राप्त करनी हो सकती है (राज्य नियमों के अनुसार)।
Q4: माइक्रो इरिगेशन (ड्रिप/स्प्रिंकलर) के तहत सब्सिडी कितनी मिलती है?
Ans: सब्सिडी की दर राज्यों और किसान की श्रेणी (सामान्य, एससी/एसटी, छोटा/सीमांत किसान) के अनुसार अलग-अलग होती है। यह आमतौर पर कुल लागत का 40% से लेकर 90% तक या कुछ राज्यों में छोटे किसानों के लिए 100% भी हो सकती है। ताजा दरों के लिए अपने राज्य के कृषि विभाग या पीएमकेएसवाई पोर्टल की जांच करें।
Q5: PMKSY के तहत आवेदन कैसे करें?
Ans: आवेदन मुख्यतः ऑनलाइन आपके राज्य के कृषि विभाग या पीएमकेएसवाई-पीडीएमसी के विशेष पोर्टल के माध्यम से किया जाता है। आप अपने ब्लॉक/तहसील कार्यालय या जिला कृषि अधिकारी (DAO) के कार्यालय से भी फॉर्म प्राप्त कर सकते हैं और जमा कर सकते हैं। आवश्यक दस्तावेजों के साथ फॉर्म भरकर जमा करना होता है।
Q6: क्या PMKSY और PM-KISAN समान योजनाएं हैं?
Ans: नहीं, ये दो अलग-अलग योजनाएं हैं। PM-KISAN एक सीधे नकद हस्तांतरण (Direct Cash Transfer) की योजना है जहां पात्र किसानों को उनके बैंक खाते में सालाना 6000 रुपये (तीन किस्तों में) दिए जाते हैं। Pradhan Mantri Krishi Sinchai Yojana एक सिंचाई बुनियादी ढांचा और जल उपयोग दक्षता योजना है, जिसके तहत किसानों को सूक्ष्म सिंचाई जैसी सुविधाओं पर सब्सिडी दी जाती है या सिंचाई परियोजनाओं का लाभ मिलता है।
Q7: योजना की प्रगति की निगरानी कैसे की जाती है?
Ans: योजना की प्रगति की निगरानी केंद्रीय जल आयोग (CWC), कृषि मंत्रालय और राज्य सरकारों द्वारा की जाती है। डैशबोर्ड, जीआईएस मैपिंग, प्रगति रिपोर्ट और नियमित समीक्षा बैठकों का उपयोग किया जाता है। ‘नेशनल पोर्टल फॉर प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग’ जैसे प्लेटफॉर्म भी हैं।
निष्कर्ष: खेतों को सींचता सुनहरा भविष्य
Pradhan Mantri Krishi Sinchai Yojana (PMKSY) भारतीय कृषि के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हो रही है। यह सिर्फ पानी पहुंचाने की योजना नहीं है; यह कृषि क्षेत्र में स्थायित्व, दक्षता और समृद्धि लाने का एक व्यापक अभियान है। ‘हर खेत को पानी’ का संकल्प और ‘प्रति बूंद अधिक फसल’ का दर्शन Pradhan Mantri Krishi Sinchai Yojana की आत्मा है। हालांकि अभिसरण, फंडिंग, जागरूकता और गुणवत्ता नियंत्रण जैसी चुनौतियां बनी हुई हैं, लेकिन योजना के तहत हुए सिंचित क्षेत्र के विस्तार, सूक्ष्म सिंचाई के तेजी से अपनाव और जल संरक्षण के प्रति बढ़ती जागरूकता ने इसकी सकारात्मक क्षमता को साबित किया है।
भविष्य में डिजिटल प्रौद्योगिकी के अधिक उपयोग, किसानों को केंद्र में रखकर योजना बनाने, निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने और जलवायु परिवर्तन के अनुकूल कृषि पद्धतियों को अपनाने पर जोर देने से Pradhan Mantri Krishi Sinchai Yojana और भी प्रभावी हो सकती है। यह योजना न सिर्फ किसानों की आय दोगुनी करने के सपने को साकार करने में मददगार है, बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और जल संसाधनों के सतत प्रबंधन की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। PM Kisan Sinchai Yojana वाकई भारत के खेतों को सींचकर एक सुनहरे भविष्य की नींव रख रही है।


