Kamdhenu Yojna: हर उत्तर प्रदेश के किसान और पशुपालक का सपना होता है एक फलता-फूलता डेयरी व्यवसाय। लेकिन उच्च दूध देने वाली गाय-भैंसों की कमी और पूंजी की कमी अक्सर इस सपने को अधूरा रख देती है। यहीं से शुरू होती है उत्तर प्रदेश कामधेनु डेयरी योजना की कहानी। यह सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि राज्य के पशुपालकों के लिए सुनहरे भविष्य की बुनियाद है। यूपी सरकार की यह महत्वाकांक्षी Kamdhenu Yojna: सीधे तौर पर उन चुनौतियों को दूर करने के लिए बनाई गई है जो छोटे और मझोले किसानों को बड़े पैमाने पर डेयरी फार्मिंग से रोकती हैं। अगर आप भी उत्तर प्रदेश में रहते हैं और डेयरी व्यवसाय को नई ऊंचाइयों पर ले जाना चाहते हैं, तो यह लेख आपके लिए हर जरूरी जानकारी से भरपूर है। आइए, विस्तार से समझते हैं कि यह Kamdhenu Yojna क्या है, इसके फायदे क्या हैं, और आप इसका लाभ कैसे उठा सकते हैं।
उत्तर प्रदेश कामधेनु डेयरी योजना: एक संक्षिप्त परिचय
उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के डेयरी क्षेत्र को मजबूत करने और पशुपालकों की आय बढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश Kamdhenu Yojna की शुरुआत की है। Kamdhenu Yojna का संचालन पशुपालन विभाग, उत्तर प्रदेश द्वारा किया जा रहा है। योजना का मुख्य ध्यान उच्च दूध उत्पादन क्षमता वाले पशुओं (जर्मप्लाज्म) की राज्य में कमी को दूर करना है। एक बड़ी समस्या यह थी कि राज्य में अच्छी नस्ल की, ज्यादा दूध देने वाली गायें और भैंसें आसानी से या किफायती दाम पर उपलब्ध नहीं थीं। इसी कमी को पूरा करने के लिए Kamdhenu Yojna: ने एक अनूठा रास्ता अपनाया: राज्य के बाहर से 100 उच्च उपज देने वाले पशुओं (गाय या भैंस या दोनों का मिश्रण) की डेयरी इकाइयां स्थापित करने में किसानों की मदद करना। खास बात यह है कि यह मदद ‘ब्याज मुक्त’ ऋण के रूप में आती है, जिससे किसानों पर वित्तीय बोझ कम होता है।
उत्तर प्रदेश कामधेनु योजना के मुख्य उद्देश्य क्या हैं?
यूपी सरकार ने Kamdhenu Yojna को शुरू करते हुए कुछ बहुत स्पष्ट और महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किए हैं:
- उच्च गुणवत्ता वाले दुग्ध उत्पादक पशुओं का उत्पादन एवं उपलब्धता सुनिश्चित करना: योजना का सबसे बड़ा लक्ष्य राज्य में अच्छी नस्ल के, ज्यादा दूध देने वाले पशुओं की संख्या बढ़ाना है। राज्य के बाहर से पशु लाने का मतलब ही यही है कि नई और बेहतर नस्लें उत्तर प्रदेश में आएं।
- जर्मप्लाज्म सेंटर ऑफ एक्सीलेंस का विकास: सिर्फ पशु लाना ही काफी नहीं है। योजना का लक्ष्य इन उच्च उत्पादक पशुओं के प्रजनन के लिए उत्कृष्टता केंद्र (सेंटर ऑफ एक्सीलेंस) विकसित करना भी है। इससे भविष्य में राज्य में ही अच्छी नस्ल के पशुओं का उत्पादन हो सकेगा।
- किसानों को उच्च दूध देने वाले पशुओं की आसान पहुंच: अंतिम लक्ष्य यही है कि हर छोटा-बड़ा पशुपालक किसान उच्च दूध देने वाली गायों और भैंसों को आसानी से और उचित कीमत पर खरीद सके। इससे उनकी आय में सीधा इजाफा होगा और राज्य का दूध उत्पादन भी बढ़ेगा।
- आधुनिक डेयरी इकाइयों को बढ़ावा देना: योजना सिर्फ पशु खरीदने तक सीमित नहीं है। इसमें शेड, बायोगैस प्लांट, फीड मिक्सिंग यूनिट, साइलो पिट जैसी आधुनिक सुविधाओं के निर्माण के लिए भी वित्तीय सहायता शामिल है। इससे संपूर्ण और टिकाऊ डेयरी फार्मिंग को बढ़ावा मिलता है।
- रोजगार सृजन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना: बड़े पैमाने पर डेयरी इकाइयां लगने से सीधे और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर पैदा होंगे और ग्रामीण क्षेत्रों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
उत्तर प्रदेश कामधेनु योजना के अंतर्गत मिलने वाले प्रमुख लाभ (Benefits)
यह योजना पात्र लाभार्थियों को आर्थिक रूप से बहुत मजबूत सहारा देती है। आइए देखें कि Kamdhenu Yojna में किसानों को क्या-क्या फायदे मिलते हैं:
- ब्याज पर सब्सिडी (Interest Subvention): यह योजना का सबसे आकर्षक और महत्वपूर्ण लाभ है। लाभार्थी को बैंक से जो ऋण मिलता है, उस पर लगने वाले ब्याज का पूरा भार उत्तर प्रदेश सरकार उठाती है। सरकार ऋण राशि पर 12% प्रति वर्ष की दर से ब्याज की प्रतिपूर्ति (रीइम्बर्स) लाभार्थी को करेगी। यह सुविधा पूरे पांच साल (60 महीने) तक मिलती है।
- ब्याज सब्सिडी की अधिकतम सीमा: सरकार द्वारा दिए जाने वाले इस ब्याज अनुदान की एक अधिकतम सीमा तय है। प्रत्येक डेयरी इकाई के लिए पांच वर्षों में अधिकतम ₹32.82 लाख तक की ब्याज प्रतिपूर्ति ही की जाएगी। यानी अगर पांच साल में आपके ऋण पर जमा हुआ ब्याज इस रकम से ज्यादा है, तो अतिरिक्त राशि आपको खुद वहन करनी होगी।
- बड़े पैमाने पर डेयरी इकाई स्थापना में मदद: योजना का मुख्य फोकस 100 पशुओं वाली डेयरी इकाई लगाना है। यह एक बड़ा कदम है जो छोटे किसानों के लिए अकेले उठाना मुश्किल होता है। योजना इस पूरी प्रक्रिया के लिए वित्तीय सहायता मुहैया कराती है।
- आधुनिक बुनियादी ढांचे के लिए सहायता: योजना में सिर्फ पशु खरीदने के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी इकाई को आधुनिक और वैज्ञानिक तरीके से चलाने के लिए जरूरी बुनियादी ढांचे जैसे पक्का शेड, बायोगैस प्लांट (जो गोबर से ऊर्जा पैदा करेगा), फीड ग्राइंडर कम मिक्सिंग प्लांट (पशुओं के लिए संतुलित आहार तैयार करने के लिए), और साइलो पिट (हरे चारे को सुरक्षित रखने के लिए) के निर्माण के लिए भी फंड शामिल है।
- उच्च गुणवत्ता वाले पशुओं तक पहुंच: योजना के तहत पशु राज्य के बाहर से खरीदे जाते हैं, जिसका मतलब है कि लाभार्थी को देश के अन्य हिस्सों में उपलब्ध उच्च उत्पादकता वाली नस्लों के पशु मिलेंगे, जो राज्य में आसानी से उपलब्ध नहीं होते।
- दूध उत्पादन और आय में वृद्धि: जाहिर है, ज्यादा दूध देने वाले पशुओं और एक व्यवस्थित इकाई से लाभार्थी का दूध उत्पादन कई गुना बढ़ेगा, जिससे उसकी आमदनी में भी भारी इजाफा होगा।
उत्तर प्रदेश Kamdhenu Yojna की कुल लागत और वित्तीय सहायता का ब्यौरा
यह समझना जरूरी है कि Kamdhenu Yojna के तहत एक पूर्ण डेयरी इकाई स्थापित करने में कितना खर्च आता है और सरकार व बैंक किस तरह से मदद करते हैं:
- एक इकाई की कुल अनुमानित लागत: शेड, बायोगैस प्लांट, फीड ग्राइंडर कम मिक्सिंग प्लांट, साइलो पिट और सबसे महत्वपूर्ण, 100 उच्च दूध देने वाले पशुओं (गाय/भैंस) की खरीद सहित पूरी डेयरी इकाई की कुल लागत लगभग ₹121.52 लाख (1 करोड़ 21 लाख 52 हजार रुपये) आंकी गई है।
- लाभार्थी का हिस्सा (मार्जिन मनी): इस कुल लागत का न्यूनतम 25% हिस्सा लाभार्थी को अपनी जेब से लगाना होगा। यानी लगभग ₹30.38 लाख। यह राशि लाभार्थी के अपने संसाधनों (बचत, पैतृक संपत्ति, अन्य स्रोत) से आनी चाहिए। यह लाभार्थी की प्रतिबद्धता दर्शाता है।
- बैंक ऋण (Bank Loan): कुल लागत का शेष हिस्सा, यानी अधिकतम ₹91.14 लाख (करीब 91 लाख 14 हजार रुपये) की राशि बैंक से ऋण के रूप में मिलेगी। यह ऋण ही वह राशि है जिस पर सरकार पांच साल तक 12% सालाना की दर से ब्याज सब्सिडी देगी।
कौन बन सकता है उत्तर प्रदेश कामधेनु योजना का लाभार्थी? (पात्रता मानदंड)
यह योजना हर किसी के लिए नहीं है। इसका लाभ पाने के लिए आवेदक को कुछ खास शर्तों को पूरा करना होगा। यूपी सरकार ने Kamdhenu Yojna के लिए निम्नलिखित पात्रता मानदंड तय किए हैं:
- स्थायी निवास: आवेदक उत्तर प्रदेश का स्थायी निवासी होना चाहिए। यह साबित करने के लिए आधार कार्ड या निवास प्रमाण पत्र जरूरी होगा।
- आय सीमा: आवेदक के परिवार की कुल वार्षिक आय ₹1 लाख या इससे कम होनी चाहिए। यह योजना विशेष रूप से आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के पशुपालकों को लक्षित करती है। आय प्रमाण पत्र अनिवार्य है।
- आयु सीमा: आवेदक की न्यूनतम आयु 18 वर्ष होनी चाहिए। यानी वह वयस्क होना चाहिए।
- वर्तमान पशुधन: आवेदक के पास पहले से ही कम से कम 10 पशु होने चाहिए। इनमें से न्यूनतम 5 पशु दुधारू (दूध देने वाली गाय या भैंस) अवश्य होने चाहिए। यह शर्त इसलिए है क्योंकि योजना उन्हें पहले से मौजूद छोटे पैमाने के पशुपालन को बड़े स्तर पर ले जाने में मदद करती है।
- पर्याप्त भूमि उपलब्धता: लाभार्थी के पास डेयरी इकाई के लिए जरूरी बुनियादी ढांचा (शेड, गोदाम आदि) बनाने के लिए पर्याप्त जगह होनी चाहिए। विशेष रूप से, शेड आदि के निर्माण के लिए आवश्यक भूमि को छोड़कर, लाभार्थी के पास कम से कम 2 एकड़ भूमि का स्वामित्व या पट्टा होना चाहिए। यह भूमि चारा उत्पादन या अन्य डेयरी संबंधी गतिविधियों के लिए उपयोग की जा सकती है।
- पशु खरीद का स्रोत: योजना के तहत खरीदे जाने वाले सभी 100 पशु राज्य के बाहर से ही खरीदे जाने चाहिए। इसके अलावा, इन पशुओं को मान्यता प्राप्त पशुमेलों (Cattle Fairs) से ही खरीदना अनिवार्य है। यह गुणवत्ता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए है।
पात्रता मानदंड सारांश तालिका:
| क्रमांक | पात्रता मानदंड | विवरण |
|---|---|---|
| 1. | निवास | उत्तर प्रदेश का स्थायी निवासी होना अनिवार्य। |
| 2. | वार्षिक आय | परिवार की कुल वार्षिक आय ₹1 लाख या उससे कम होनी चाहिए। |
| 3. | आयु | आवेदक की न्यूनतम आयु 18 वर्ष होनी चाहिए। |
| 4. | वर्तमान पशुधन | कम से कम 10 पशु होने चाहिए, जिनमें न्यूनतम 5 दुधारू (गाय/भैंस) हों। |
| 5. | भूमि उपलब्धता | शेड निर्माण के लिए जगह अलग से; कम से कम 2 एकड़ भूमि होनी चाहिए। |
| 6. | पशु खरीद का स्रोत | सभी 100 नए पशु राज्य के बाहर से, मान्यता प्राप्त पशुमेलों से खरीदे जाने चाहिए। |
उत्तर प्रदेश कामधेनु योजना के लिए जरूरी दस्तावेज (Required Documents)
आवेदन करते समय या बाद में सत्यापन के दौरान आपको निम्नलिखित दस्तावेजों की प्रमाणित प्रतियां जमा करानी होंगी:
- पहचान प्रमाण (Identity Proof): आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर आईडी कार्ड या ड्राइविंग लाइसेंस (किसी एक की कॉपी)।
- निवास प्रमाण (Residence Proof): आधार कार्ड (निवास पता के साथ), डोमिसाइल सर्टिफिकेट, निवास प्रमाण पत्र या उपयुक्त सरकारी दस्तावेज।
- आय प्रमाण (Income Proof): परिवार की वार्षिक आय ₹1 लाख से अधिक न होने का प्रमाण पत्र। यह तहसीलदार, बीडीओ या अधिकृत अधिकारी द्वारा जारी किया जाना चाहिए।
- आयु प्रमाण (Age Proof): आधार कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र, 10वीं की मार्कशीट या अन्य सरकारी दस्तावेज।
- बैंक खाता विवरण (Bank Account Details): लाभार्थी के नाम से चालू बैंक खाते की पासबुक की फर्स्ट पेज की कॉपी या कैंसिल चेक। खाता IFSC कोड सहित स्पष्ट होना चाहिए।
- पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ (Passport Size Photograph): हाल के दिनों में खींची गई कम से कम 2-4 पासपोर्ट साइज फोटो।
- मोबाइल नंबर (Mobile Number): आवेदक का सक्रिय मोबाइल नंबर। योजना से संबंधित सभी अपडेट और संचार इसी नंबर पर किया जाएगा।
- भूमि दस्तावेज (Land Documents): कम से कम 2 एकड़ भूमि के स्वामित्व या पट्टे के प्रमाण के दस्तावेज (खतौनी, पट्टा प्रति आदि)।
- वर्तमान पशुधन प्रमाण (Existing Livestock Proof): ग्राम प्रधान या पशुपालन विभाग के अधिकारी से प्रमाणित कराना होगा कि आवेदक के पास कम से कम 10 पशु हैं जिनमें 5 दुधारू हैं।
- अन्य (यदि लागू हो): जाति प्रमाण पत्र (यदि आरक्षण के तहत आवेदन कर रहे हों), शैक्षणिक योग्यता प्रमाण (यदि मांगा जाए)।
उत्तर प्रदेश कामधेनु योजना के लिए आवेदन कैसे करें? (आवेदन प्रक्रिया Step-by-Step)
यदि आप उपरोक्त सभी पात्रता शर्तों को पूरा करते हैं और आवश्यक दस्तावेज जुटा चुके हैं, तो आप Kamdhenu Yojna के लिए आवेदन कर सकते हैं। प्रक्रिया काफी सीधी है:
- कार्यालय जाएं: सबसे पहले, आपको अपने जिले के उत्तर प्रदेश पशुपालन विभाग के जिला कार्यालय (District Animal Husbandry Department Office) में जाना होगा। यह कार्यालय आमतौर पर जिला मुख्यालय पर स्थित होता है। आप पशुपालन विभाग के अधिकारियों से इस कार्यालय का सही पता पूछ सकते हैं।
- आवेदन पत्र प्राप्त करें: कार्यालय पहुंचने पर, उत्तर प्रदेश Kamdhenu Yojna का आधिकारिक आवेदन पत्र (Application Form) प्राप्त करें। कर्मचारियों से इस बारे में पूछें।
- आवेदन पत्र ध्यान से भरें: अब आवेदन पत्र में पूछी गई सभी जानकारियां बहुत ध्यान से और स्पष्ट अक्षरों में भरें। जानकारी सही और पूरी होनी चाहिए। गलत या अधूरी जानकारी देने पर आपका आवेदन रद्द हो सकता है। पत्र में आपसे व्यक्तिगत विवरण, पशुधन विवरण, भूमि विवरण, आय विवरण आदि मांगे जाएंगे।
- दस्तावेज संलग्न करें: आवेदन पत्र भरने के बाद, ऊपर बताए गए सभी आवश्यक दस्तावेजों की स्व-सत्यापित प्रतियां (Self-Attested Copies) आवेदन पत्र के साथ क्रम से अटैच करें। एक फाइल में सभी कागजात लगाना अच्छा रहता है।
- आवेदन पत्र जमा करें: पूरा भरा हुआ आवेदन पत्र और संलग्न दस्तावेज कार्यालय में निर्धारित स्थान पर जमा कर दें। जमा कराने की रसीद (Acknowledgement Receipt) अवश्य ले लें। इस रसीद पर आमतौर पर आपका आवेदन संदर्भ नंबर (Application Reference Number) होता है, जिससे आप भविष्य में अपने आवेदन की स्थिति पता कर सकते हैं।
- सत्यापन प्रक्रिया: आपका आवेदन जमा हो जाने के बाद, पशुपालन विभाग के अधिकारी उसकी जांच और सत्यापन करेंगे। वे आपके द्वारा दी गई जानकारी और दस्तावेजों की प्रामाणिकता की पुष्टि करेंगे। इस दौरान वे आपके घर या खेत पर भी निरीक्षण के लिए आ सकते हैं (जैसे पशुधन और भूमि का सत्यापन)।
- अनुमति और सूचना: यदि आपका आवेदन सभी मानदंडों पर खरा उतरता है और सत्यापन सफल होता है, तो इसे मंजूरी (Approval) दे दी जाएगी। मंजूरी मिलने के बाद, पशुपालन विभाग द्वारा आपको आधिकारिक रूप से सूचित कर दिया जाएगा, आमतौर पर आपके दिए गए मोबाइल नंबर पर एसएमएस या फोन कॉल के जरिए। कई बार लिखित पत्र भी भेजा जा सकता है।
- बैंक लिंकेज और आगे की प्रक्रिया: आवेदन स्वीकृत होने के बाद, आपको निर्धारित बैंक से संपर्क करने और ऋण प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिए जाएंगे। बैंक अपनी ओर से भी आवश्यक जांच करेगा और फिर ऋण मंजूर करेगा। इसके बाद ही योजना के तहत फंड जारी होगा और आप पशु खरीद व इकाई स्थापना की प्रक्रिया शुरू कर सकेंगे।
उत्तर प्रदेश Kamdhenu Yojna के कुछ महत्वपूर्ण नियम और शर्तें (Important Terms & Conditions)
योजना का लाभ लेने के लिए कुछ बहुत महत्वपूर्ण नियमों और शर्तों का पालन करना अनिवार्य है। इन्हें ध्यान से समझें:
- इकाई का आकार: प्रत्येक डेयरी इकाई में दूध देने वाले 100 पशु (100 Milch Animals) ही शामिल होंगे। ये पशु या तो सिर्फ गाय, या सिर्फ भैंस, या दोनों का मिश्रण हो सकते हैं (जैसे 50 गाय और 50 भैंस)। कुल संख्या 100 होनी चाहिए।
- पशुओं की नस्लें (Breed Specifications):
- गाय (Cows): योजना के तहत खरीदी जाने वाली गायें केवल निर्दिष्ट उच्च उत्पादक नस्लों की ही होनी चाहिए। अनुमत नस्लें हैं:
- क्रॉसब्रीड जर्सी (Crossbred Jersey)
- क्रॉसब्रीड होल्स्टीन फ्रीजियन (Crossbred Holstein Friesian – HF)
- साहीवाल (Sahiwal)
- भैंस (Buffaloes): खरीदी जाने वाली भैंसें केवल मुर्राह (Murrah) नस्ल की होनी चाहिए, जो उच्च दूध उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है।
- गाय (Cows): योजना के तहत खरीदी जाने वाली गायें केवल निर्दिष्ट उच्च उत्पादक नस्लों की ही होनी चाहिए। अनुमत नस्लें हैं:
- नस्ल एकरूपता (Uniformity within Unit): एक बहुत महत्वपूर्ण शर्त यह है कि एक ही डेयरी इकाई में रखी जाने वाली सभी गायें केवल एक ही नस्ल की होनी चाहिए। आप एक इकाई में सिर्फ क्रॉसब्रीड जर्सी गायें रख सकते हैं, या सिर्फ क्रॉसब्रीड एचएफ गायें, या सिर्फ साहीवाल गायें। इन्हें मिला-जुला नहीं रखा जा सकता। भैंसों के लिए केवल मुर्राह नस्ल ही मान्य है। हालाँकि, गाय और भैंस को एक साथ रखा जा सकता है (जैसा ऊपर बताया गया), लेकिन गायों की नस्ल एक ही होनी चाहिए।
- पशुओं का स्रोत: योजना के तहत खरीदे जाने वाले सभी 100 पशु उत्तर प्रदेश राज्य के बाहर से ही खरीदे जाने चाहिए। यह मुख्य उद्देश्य – राज्य में उच्च जर्मप्लाज्म की उपलब्धता बढ़ाना – को पूरा करने के लिए जरूरी है। साथ ही, इन पशुओं को सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त पशुमेलों (Authorized Cattle Fairs) से ही खरीदना अनिवार्य है।
- भूमि आवश्यकता: जैसा कि पात्रता में बताया गया, लाभार्थी के पास डेयरी इकाई की बुनियादी सुविधाएं (शेड, गोदाम आदि) बनाने के लिए जगह अलग से होनी चाहिए। इसके अलावा, उसके पास कम से कम 2 एकड़ भूमि का स्वामित्व या पट्टा होना चाहिए। यह भूमि चारा उत्पादन या अन्य डेयरी सहायक गतिविधियों के लिए प्रयोग की जाएगी।
- पशु खरीद समयसीमा: आमतौर पर, ऋण मंजूरी मिलने के बाद लाभार्थी को एक निश्चित समयसीमा के भीतर पशुओं की खरीद पूरी करनी होती है। यह समयसीमा बैंक या विभाग द्वारा निर्धारित की जाती है।
- पशुओं का बीमा और स्वास्थ्य: योजना के तहत खरीदे गए पशुओं का बीमा करवाना अक्सर अनिवार्य होता है। साथ ही, पशुओं को नियमित टीकाकरण और स्वास्थ्य जांच के दायरे में रखना लाभार्थी की जिम्मेदारी होती है।
- रिकॉर्ड रखरखाव: लाभार्थी को डेयरी इकाई के संचालन, पशुओं के स्वास्थ्य, दूध उत्पादन, बिक्री आदि का सही रिकॉर्ड रखना होगा। विभागीय अधिकारी समय-समय पर इसकी जांच कर सकते हैं।
- ब्याज सब्सिडी का पात्रता: ब्याज सब्सिडी केवल तभी मिलेगी जब लाभार्थी बैंक ऋण की नियमित किश्तों का भुगतान समय पर करता रहेगा। यदि ऋण चूक (NPA) की स्थिति बनती है, तो सब्सिडी रोकी जा सकती है।
Kamdhenu Yojna से जुड़े महत्वपूर्ण लिंक और संपर्क विवरण
यदि आपको योजना के बारे में और अधिक जानकारी चाहिए या आवेदन प्रक्रिया में कोई समस्या आ रही है, तो आप निम्नलिखित आधिकारिक स्रोतों से संपर्क कर सकते हैं:
- पशुपालन विभाग, उत्तर प्रदेश का आधिकारिक पोर्टल: यह सबसे विश्वसनीय स्रोत है जहां आपको योजना के आधिकारिक दिशा-निर्देश, प्रपत्र और अपडेट मिल सकते हैं। पोर्टल पर जाने के लिए खोजें: पशुपालन विभाग उत्तर प्रदेश या सीधे लिंक (यदि उपलब्ध हो): [यहां विभाग का लिंक डालें, लेकिन यूजर के डेटा में विशिष्ट लिंक नहीं था, सामान्य पोर्टल का नाम दिया गया था]
- उत्तर प्रदेश Kamdhenu Yojna हेल्पलाइन नंबर: योजना से संबंधित सामान्य प्रश्नों और मार्गदर्शन के लिए कॉल करें: 0522-2742879
- उत्तर प्रदेश Kamdhenu Yojna हेल्पडेस्क ईमेल: लिखित प्रश्न या शिकायत भेजने के लिए ईमेल करें: kamdhenuyojana2015@gmail.com
- उत्तर प्रदेश, पशुपालन विभाग हेल्पलाइन नंबर (सामान्य): पशुपालन विभाग से संबंधित अन्य जानकारी के लिए: 0522-2740482
- उत्तर प्रदेश, पशुपालन विभाग हेल्पडेस्क ईमेल (सामान्य): dir-ah.up@nic.in
निष्कर्ष: डेयरी क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर एक सशक्त कदम
उत्तर प्रदेश Kamdhenu Yojna राज्य के पशुपालक समुदाय, विशेषकर छोटे और सीमांत किसानों के लिए एक वरदान साबित हो सकती है। यह सिर्फ सब्सिडी देने वाली योजना नहीं है, बल्कि डेयरी फार्मिंग को एक आधुनिक, वैज्ञानिक और लाभकारी उद्यम के रूप में स्थापित करने की दिशा में उठाया गया ठोस कदम है। ब्याज मुक्त ऋण की सुविधा, उच्च नस्ल के पशुओं की उपलब्धता, और आधुनिक बुनियादी ढांचे के लिए समर्थन – ये सभी तत्व मिलकर Kamdhenu Yojna को बेहद प्रभावी बनाते हैं।
हालांकि, योजना का पूरा लाभ उठाने के लिए पात्रता के नियमों, विशेष रूप से नस्ल एकरूपता, पशुओं के बाहरी स्रोत, और भूमि आवश्यकता को बहुत ध्यान से समझना और पूरा करना होगा। आवेदन प्रक्रिया में पारदर्शिता और दस्तावेजों की पूर्णता बहुत जरूरी है।
यदि आप एक जिम्मेदार और उद्यमी पशुपालक हैं, जिनके पास पहले से कुछ पशुधन है और डेयरी व्यवसाय को बड़े पैमाने पर ले जाने का सपना और जज्बा है, तो उत्तर प्रदेश Kamdhenu Yojna आपके लिए ही बनाई गई है। निकटतम पशुपालन विभाग के कार्यालय में संपर्क करें, पात्रता की जांच करें, दस्तावेज तैयार करें और इस सुनहरे अवसर का लाभ उठाने के लिए आवेदन करें। यह योजना न केवल आपकी व्यक्तिगत आय बढ़ाएगी बल्कि उत्तर प्रदेश को दुग्ध उत्पादन में एक नई पहचान दिलाने में भी मदद करेगी। जय जवान, जय किसान, जय उत्तर प्रदेश!
कामधेनु योजना: अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
Q1: क्या Kamdhenu Yojna में पहले से मौजूद पशुओं पर भी सहायता मिलती है?
A1: नहीं, योजना का मुख्य फोकस नए, उच्च उत्पादकता वाले पशुओं (कुल 100) को राज्य के बाहर से खरीदकर एक नई डेयरी इकाई स्थापित करने या मौजूदा इकाई को इस स्तर तक विस्तारित करने पर है। पहले से मौजूद पशुओं पर सीधी सहायता नहीं मिलती, हालाँकि मौजूदा पशुधन (कम से कम 10 पशु, जिनमें 5 दुधारू) होना पात्रता की शर्त है।
Q2: क्या मैं गाय और भैंस दोनों रख सकता हूँ? अगर हां, तो क्या उनकी नस्लों पर कोई रोक है?
A2: हां, आप एक ही इकाई में गाय और भैंस दोनों रख सकते हैं (जैसे 50 गाय + 50 भैंस)। हालाँकि, गायों के लिए शर्त है कि सभी गायें एक ही नस्ल की होनी चाहिए (या तो सभी क्रॉसब्रीड जर्सी, या सभी क्रॉसब्रीड एच.एफ., या सभी साहीवाल)। भैंसें सिर्फ मुर्राह नस्ल की होनी चाहिए। आप विभिन्न नस्लों की गायें एक साथ नहीं रख सकते।
Q3: क्या ऋण के लिए गारंटर या गिरवी रखने की जरूरत होती है?
A3: हां, बैंक से ₹91.14 लाख तक का ऋण मिलता है। बैंक अपनी ऋण नीतियों के अनुसार ऋण की सुरक्षा के लिए संपार्पण (Hypothecation) योजना के तहत खरीदे गए पशुओं और बनाए गए बुनियादी ढांचे पर करेगा। इसके अलावा, बैंक लाभार्थी की ऋण योग्यता और जोखिम के आधार पर अतिरिक्त गारंटी या प्रतिभूति (कोलैटरल) की मांग कर सकता है। यह बैंक पर निर्भर करता है।
Q4: क्या योजना के तहत खरीदे गए पशुओं को बेचा जा सकता है?
A4: सामान्यतः, ऋण चुकता होने तक बैंक की अनुमति के बिना योजना के तहत खरीदे गए पशुओं को बेचना संभव नहीं होता, क्योंकि वे ऋण सुरक्षा का हिस्सा होते हैं। यह बैंक के ऋण समझौते की शर्तों पर निर्भर करेगा। ऋण चुकता होने के बाद ही पशुओं पर पूर्ण स्वामित्व होगा।
Q5: यदि मेरे पास 2 एकड़ जमीन है, लेकिन वह खेती के काम आती है, क्या मैं फिर भी पात्र हूँ?
A5: हां, यदि आपके पास शेड आदि बनाने के लिए अलग से जगह है और कुल मिलाकर आपके नाम पर कम से कम 2 एकड़ भूमि (चाहे वह खेती के लिए प्रयोग हो रही हो) है, तो आप भूमि की पात्रता पूरी करते हैं। शेड बनाने के लिए जगह इस 2 एकड़ के अलावा होनी चाहिए।
Q6: क्या आवेदन ऑनलाइन किया जा सकता है?
A6: यूजर द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, वर्तमान में आवेदन प्रक्रिया ऑफलाइन ही दिखाई देती है। आवेदक को अपने जिले के पशुपालन विभाग कार्यालय में जाकर आवेदन पत्र प्राप्त करना, भरना और जमा करना होता है। हालांकि, भविष्य में ऑनलाइन पोर्टल लॉन्च हो सकता है। नवीनतम जानकारी के लिए पशुपालन विभाग के पोर्टल या कार्यालय से संपर्क करें।
Q7: ब्याज सब्सिडी कैसे मिलती है? क्या मुझे पहले ब्याज चुकाना पड़ेगा?
A7: सामान्य प्रक्रिया यह होती है कि लाभार्थी को बैंक को ऋण की मासिक/त्रैमासिक किश्तें (EMI) समय पर चुकानी होती हैं, जिसमें मूलधन और ब्याज दोनों शामिल होते हैं। उसके बाद, लाभार्थी ब्याज भुगतान की रसीदें जमा कराकर पशुपालन विभाग से उस ब्याज की प्रतिपूर्ति (रीइम्बर्समेंट) प्राप्त करता है। कुछ मामलों में व्यवस्था सीधे बैंक को सब्सिडी भेजने की भी हो सकती है। सटीक प्रक्रिया के लिए विभाग से पूछताछ करें।


