Tuesday, August 5, 2025
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Janani Suraksha Yojana: गर्भवती महिलाओं को नकद प्रोत्साहन राशि, परिवहन, भोजन और अन्य खर्चों को कवर

भारत सरकार की जननी सुरक्षा योजना (Janani Suraksha Yojana – JSY) एक जीवनरक्षक पहल है, जिसका मुख्य लक्ष्य देश में माताओं और नवजात शिशुओं की जान बचाना है। यह योजना विशेष रूप से गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाली गर्भवती महिलाओं को वित्तीय मदद और बेहतर स्वास्थ्य सेवाएँ मुहैया कराकर उन्हें अस्पतालों या स्वास्थ्य केंद्रों में सुरक्षित प्रसव के लिए प्रोत्साहित करती है।

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Janani Suraksha Yojana का शुभारंभ 12 अप्रैल 2005 को राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (NRHM) के तत्वावधान में किया गया था। इसका निशाना उन ग्रामीण और शहरी इलाकों की महिलाएँ हैं, जहाँ अक्सर मातृ स्वास्थ्य सुविधाएँ या तो बहुत कम हैं या पहुँच से बाहर हैं। Janani Suraksha Yojana के तहत नकद प्रोत्साहन और संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देकर मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाना इसका मूल मकसद है। यह सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि लाखों माताओं और उनके होने वाले बच्चों के लिए सुरक्षा कवच का काम करती है।

जननी सुरक्षा योजना के उद्देश्य

Janani Suraksha Yojana कई गंभीर और जरूरी उद्देश्यों को लेकर चल रही है, जो सीधे तौर पर माँ और बच्चे की सेहत से जुड़े हैं:

  • मातृ मृत्यु दर में कमी (MMR Reduction): इसका सबसे बड़ा लक्ष्य है गर्भावस्था और प्रसव के दौरान होने वाली माताओं की मौतों को कम करना। यह योजना महिलाओं को प्रशिक्षित डॉक्टरों और नर्सों की मौजूदगी वाले अस्पतालों या स्वास्थ्य केंद्रों में प्रसव कराने के लिए प्रेरित करती है। घर पर प्रसव के जोखिमों की तुलना में संस्थागत प्रसव में जटिलताओं का समय पर निदान और इलाज संभव हो पाता है।
  • शिशु मृत्यु दर में कमी (IMR Reduction): स्वस्थ माँ ही स्वस्थ शिशु को जन्म दे सकती है। Janani Suraksha Yojana प्रसव पूर्व (एंटीनेटल) और प्रसव के बाद (पोस्टनेटल) देखभाल पर जोर देकर नवजात शिशुओं की मृत्यु दर कम करने में भी अहम भूमिका निभाती है। सुरक्षित प्रसव और जन्म के तुरंत बाद विशेषज्ञ देखभाल से शिशु मृत्यु के जोखिम काफी हद तक कम हो जाते हैं।
  • संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देना: पारंपरिक घरेलू प्रसव के बजाय अस्पतालों या स्वास्थ्य केंद्रों में डिलीवरी को प्रोत्साहित करना इस योजना की रीढ़ है। Janani Suraksha Yojana गर्भवती महिलाओं को इसके लिए आकर्षक नकद प्रोत्साहन देती है, ताकि वे और उनका परिवार सुरक्षित वातावरण में प्रसव कराने के लिए प्रेरित हों।
  • महिला सशक्तिकरण: आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की गर्भवती महिलाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करके यह योजना उन्हें सशक्त बनाती है। यह सहायता उन्हें अपने स्वास्थ्य, विशेषकर मातृ स्वास्थ्य के बारे में फैसले लेने में आत्मविश्वास देती है और उनकी आवाज को मजबूत करती है।
  • गुणवत्तापूर्ण मातृ स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच: यह योजना यह सुनिश्चित करने पर भी केंद्रित है कि हर योग्य महिला को गर्भावस्था के दौरान और प्रसव के बाद जरूरी चिकित्सकीय जांच और देखभाल मिले।

जननी सुरक्षा योजना (JSY) की मुख्य विशिष्टताएँ

विवरणविशिष्टताएँ
योजना का उद्देश्यमातृ और शिशु मृत्यु दर को कम करना और संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देना।
पात्रता मानदंड• 19 वर्ष या उससे अधिक उम्र की गर्भवती महिला।• केवल दो जीवित बच्चों तक ही योजना का लाभ मिलता है।• गरीबी रेखा से नीचे (BPL) जीवन यापन करने वाली महिलाएं, अनुसूचित जाति (SC), और अनुसूचित जनजाति (ST) की महिलाएं।
लाभ• सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में मुफ्त प्रसव और सिजेरियन ऑपरेशन।• मुफ्त दवाएं, जाँच और रक्त की उपलब्धता।• प्रसव के बाद 3 दिन (सामान्य प्रसव) या 7 दिन (सिजेरियन) तक मुफ्त भोजन।• आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से घर से अस्पताल तक मुफ्त परिवहन।
वित्तीय सहायता (माता के लिए)ग्रामीण क्षेत्र: ₹1,400• शहरी क्षेत्र: ₹1,000
आशा कार्यकर्ता के लिए प्रोत्साहनग्रामीण क्षेत्र: ₹600 (प्रसवपूर्व और प्रसवोत्तर देखभाल के लिए)• शहरी क्षेत्र: ₹400 (प्रसवपूर्व और प्रसवोत्तर देखभाल के लिए)
सी-सेक्शन के लिए सहायतायदि सरकारी डॉक्टर उपलब्ध नहीं है, तो निजी विशेषज्ञ के लिए ₹1,500 तक की वित्तीय सहायता।
आवेदन प्रक्रियाऑफ़लाइन: नजदीकी आंगनवाड़ी केंद्र या स्वास्थ्य केंद्र में जाकर फॉर्म भरें।• ऑनलाइन: संबंधित राज्य की आधिकारिक JSY वेबसाइट पर जाकर आवेदन करें।
आवश्यक दस्तावेज• आधार कार्ड• BPL राशन कार्ड• जननी सुरक्षा योजना (JSY) कार्ड• मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य (MCH) कार्ड

जननी सुरक्षा योजना के मुख्य लाभ

Janani Suraksha Yojana एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाती है और इसके कई ठोस फायदे हैं, जो इसे पूरे देश में गर्भवती महिलाओं के लिए अमूल्य बनाते हैं:

  • राज्यों का वर्गीकरण और विशेष ध्यान: भारत के राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को उनके स्वास्थ्य संकेतकों, विशेषकर संस्थागत प्रसव दर के आधार पर दो श्रेणियों में बाँटा गया है:
    • लो परफॉर्मिंग स्टेट्स (LPS – कम प्रदर्शन वाले राज्य): इन राज्यों में संस्थागत प्रसव दर कम है और मातृ-शिशु मृत्यु दर अपेक्षाकृत अधिक है। इन्हें विशेष सहायता और उच्च प्रोत्साहन राशि की जरूरत होती है। उदाहरण: उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, असम आदि।
    • हाई परफॉर्मिंग स्टेट्स (HPS – उच्च प्रदर्शन वाले राज्य): इन राज्यों में संस्थागत प्रसव दर अच्छी है और स्वास्थ्य संकेतक बेहतर हैं। उदाहरण: केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र आदि।
    • यह वर्गीकरण संसाधनों का बेहतर आवंटन और जरूरतमंद इलाकों पर विशेष ध्यान देने में मदद करता है।
  • निजी स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ साझेदारी: उन क्षेत्रों में जहाँ सरकारी अस्पताल या स्वास्थ्य केंद्रों की पहुँच सीमित है या भीड़ अधिक है, Janani Suraksha Yojana कई बार मान्यता प्राप्त निजी स्वास्थ्य संस्थानों के साथ भी साझेदारी करती है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि गर्भवती महिलाएँ समय पर और गुणवत्तापूर्ण सेवाएँ प्राप्त कर सकें।
  • नकद प्रोत्साहन – मुख्य आकर्षण: यह योजना की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता है। पात्र गर्भवती महिलाएँ, जो अस्पताल या स्वास्थ्य केंद्र में प्रसव कराती हैं, उन्हें नकद प्रोत्साहन दिया जाता है। यह रकम उनके रहने के स्थान (ग्रामीण या शहरी) और उनके राज्य की श्रेणी (LPS या HPS) पर निर्भर करती है। इस पैसे का उद्देश्य प्रसव से जुड़ी परिवहन लागत, अस्पताल में रहने के दौरान के खर्च और अन्य छोटे-मोटे खर्चों में मदद करना है।
  • वंचित समूहों पर विशेष ध्यान: Janani Suraksha Yojana खास तौर पर आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों की महिलाओं को प्राथमिकता देती है। अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और गरीबी रेखा से नीचे (BPL) के परिवारों की गर्भवती महिलाएँ इस योजना के प्रमुख लाभार्थी हैं।
  • आशा कार्यकर्ताओं के लिए प्रोत्साहन: आशा (मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता) ग्रामीण स्तर पर इस योजना की सफलता की धुरी हैं। वे गर्भवती महिलाओं को पंजीकरण कराने, एंटीनेटल चेकअप के लिए प्रेरित करने और संस्थागत प्रसव के लिए तैयार करने में अहम भूमिका निभाती हैं। Janani Suraksha Yojana आशा कार्यकर्ताओं को उनकी सेवाओं के लिए एक प्रदर्शन-आधारित प्रोत्साहन राशि भी प्रदान करती है, जो महिला को अस्पताल पहुँचाने और उसकी देखभाल सुनिश्चित करने पर निर्भर करती है।
  • जच्चा-बच्चा के स्वास्थ्य की निरंतर निगरानी: योजना के तहत महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान कम से कम तीन बार जाँच (एंटीनेटल चेकअप) और प्रसव के बाद भी देखभाल (पोस्टनेटल केयर) सुनिश्चित की जाती है।

जननी सुरक्षा योजना में क्या और कितना मिलता है?

Janani Suraksha Yojana के तहत दी जाने वाली वित्तीय सहायता एक निश्चित ढाँचे के अनुसार तय की गई है, जो गर्भवती महिला, आशा कार्यकर्ता और कभी-कभी स्वास्थ्य कर्मियों को दी जाती है। यह सहायता राज्य की श्रेणी (LPS/HPS) और महिला के निवास स्थान (ग्रामीण/शहरी) पर निर्भर करती है। यहाँ विस्तार से समझते हैं:

1. गर्भवती महिलाओं के लिए नकद सहायता (मुख्य लाभ):
यह योजना का केंद्र बिंदु है। संस्थागत प्रसव कराने वाली पात्र महिला को नकद राशि दी जाती है। यह राशि दो हिस्सों में हो सकती है:

  • माँ के लिए पैकेज: प्रसव से जुड़े खर्चों के लिए सीधे महिला को दी जाने वाली राशि।
  • आशा के लिए पैकेज: महिला की देखभाल और संस्थागत प्रसव के लिए प्रेरित करने वाली आशा कार्यकर्ता को दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि।

नकद सहायता का विवरण (संस्थागत प्रसव के लिए):

श्रेणीक्षेत्रमाँ को मिलने वाली राशि (₹)आशा को मिलने वाली प्रोत्साहन राशि (₹)कुल (₹)
एलपीएस (LPS)ग्रामीण1,4006002,000
शहरी1,0002001,200
एचपीएस (HPS)ग्रामीण700200900
शहरी600200800

ध्यान दें:

  • LPS राज्यों में ग्रामीण महिलाओं को सबसे अधिक कुल सहायता (₹2000) मिलती है, जो उनकी अधिक जरूरत को दर्शाता है।
  • HPS राज्यों में राशि कम होती है, लेकिन फिर भी संस्थागत प्रसव को प्रोत्साहित करने के लिए पर्याप्त है।
  • आशा को मिलने वाली राशि उनके प्रदर्शन (महिला को पंजीकृत करवाना, चेकअप करवाना और संस्थागत प्रसव कराना) पर निर्भर करती है।

2. सीजेरियन डिलीवरी (सी-सेक्शन) के लिए अतिरिक्त सहायता: कभी-कभी प्रसव सामान्य न होकर सर्जरी (सी-सेक्शन) के जरिए होना पड़ता है। अगर किसी सरकारी अस्पताल में सी-सेक्शन कराने की जरूरत पड़े और वहाँ उपलब्ध सर्जन या विशेषज्ञ न हो, तो Janani Suraksha Yojana के तहत अधिकतम ₹1,500 की अतिरिक्त वित्तीय सहायता दी जाती है। इस पैसे का इस्तेमाल महिला के परिवार द्वारा बाहर से एक निजी विशेषज्ञ सर्जन को बुलाने और उसकी फीस चुकाने के लिए किया जा सकता है, ताकि सर्जरी सरकारी अस्पताल में ही हो सके। यह प्रावधान जानलेवा देरी को रोकने में मदद करता है।

3. परिवार नियोजन सेवाओं के लिए मुआवजा: Janani Suraksha Yojana सुरक्षित प्रसव के साथ-साथ परिवार नियोजन को भी बढ़ावा देती है। अगर कोई महिला प्रसव के बाद स्थायी परिवार नियोजन का विकल्प चुनती है, जैसे कि ट्यूबेक्टॉमी (नलियाँ बाँधना) या लेप्रोस्कोपिक सर्जरी, तो उसे इस प्रक्रिया के लिए एक निश्चित मुआवजा राशि दी जाती है। यह राशि अलग-अलग राज्यों में भिन्न हो सकती है।

जननी सुरक्षा योजना के व्यापक लाभ

Janani Suraksha Yojana के कार्यान्वयन से भारत में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं पर गहरा और सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। इसके प्रमुख लाभों को समझें:

  • नियमित जाँच और सुरक्षित प्रसव: योजना में शामिल होने वाली गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान कम से कम तीन बार अनिवार्य चिकित्सकीय जाँच की सुविधा मिलती है। ये जाँच समय से पहले किसी भी जटिलता का पता लगाने और उसका इलाज शुरू करने में मदद करती हैं। सबसे बड़ा लाभ यह है कि महिलाएँ अस्पतालों या प्रशिक्षित कर्मियों की उपस्थिति वाले स्वास्थ्य केंद्रों में सुरक्षित प्रसव कराती हैं।
  • आर्थिक बोझ में कमी: गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले परिवारों के लिए प्रसव से जुड़ा खर्च एक बड़ी चिंता का विषय होता है। Janani Suraksha Yojana द्वारा दी जाने वाली नकद सहायता इस आर्थिक बोझ को काफी हद तक कम कर देती है। यह पैसा परिवहन, दवाइयाँ और अन्य जरूरी खर्चों में काम आता है।
  • स्वास्थ्य कर्मियों की मान्यता और प्रोत्साहन: योजना आशा कार्यकर्ताओं, एएनएम (सहायक नर्स दाइयों), और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण के लिए वित्तीय प्रोत्साहन देती है। इससे उनका मनोबल बढ़ता है और वे गर्भवती महिलाओं की बेहतर देखभाल के लिए प्रेरित होते हैं।
  • पारंपरिक दाईयों (डाइस) का प्रशिक्षण: पारंपरिक रूप से प्रसव कराने वाली दाईयों को Janani Suraksha Yojana के तहत आधुनिक प्रसूति विज्ञान और स्वच्छता के तरीकों का प्रशिक्षण दिया जाता है। इससे उनके कौशल में सुधार होता है और वे घर पर होने वाले प्रसव (जो अभी भी कुछ इलाकों में होते हैं) को सुरक्षित बनाने में मदद कर सकती हैं। साथ ही, वे महिलाओं को संस्थागत प्रसव के लिए प्रेरित भी करती हैं।
  • आपातकालीन स्थितियों में मदद: सी-सेक्शन के लिए अतिरिक्त सहायता का प्रावधान जानलेवा जटिलताओं के समय त्वरित चिकित्सकीय हस्तक्षेप को संभव बनाता है, खासकर उन सरकारी अस्पतालों में जहाँ विशेषज्ञों की कमी हो सकती है।
  • परिवार नियोजन को बढ़ावा: ट्यूबेक्टॉमी जैसी स्थायी परिवार नियोजन विधियों के लिए मुआवजा महिलाओं को उनकी प्रजनन स्वास्थ्य के बारे में सूचित विकल्प चुनने के लिए प्रोत्साहित करता है और अनचाहे गर्भ व उससे जुड़े जोखिमों को कम करता है।
  • स्वास्थ्य जागरूकता में वृद्धि: आशा कार्यकर्ता और स्वास्थ्य कर्मी योजना के माध्यम से गर्भवती महिलाओं और उनके परिवारों को पोषण, स्वच्छता, टीकाकरण और नवजात देखभाल जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर शिक्षित करते हैं, जिससे समुदाय स्तर पर स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ती है।

जननी सुरक्षा योजना के लिए पात्रता मानदंड

Janani Suraksha Yojana के लाभ उठाने के लिए गर्भवती महिलाओं को कुछ निश्चित शर्तों को पूरा करना अनिवार्य है। ये मानदंड यह सुनिश्चित करते हैं कि योजना का लाभ सही और जरूरतमंद लोगों तक पहुँचे:

  • गरीबी रेखा से नीचे (BPL श्रेणी): यह योजना मुख्य रूप से उन गर्भवती महिलाओं के लिए है जो गरीबी रेखा से नीचे (BPL) के परिवारों से आती हैं, चाहे वे ग्रामीण इलाकों की हों या शहरी क्षेत्रों की। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग ही इसका प्राथमिक लक्ष्य समूह है। महिला के पास वैध BPL राशन कार्ड या सरकार द्वारा जारी BPL प्रमाण पत्र होना चाहिए।
  • आयु सीमा: योजना का लाभ केवल उन गर्भवती महिलाओं को मिल सकता है जिनकी उम्र 19 वर्ष या उससे अधिक हो। 19 साल से कम उम्र की किशोरियाँ इस योजना के लिए पात्र नहीं हैं। यह सीमा कम उम्र में गर्भधारण से जुड़े उच्च स्वास्थ्य जोखिमों को देखते हुए रखी गई है।
  • जीवित बच्चों की संख्या: योजना का लाभ पाने के लिए महिला के अधिकतम दो जीवित बच्चे ही होने चाहिए। अगर किसी महिला के तीन या तीन से अधिक जीवित बच्चे हैं, तो वह Janani Suraksha Yojana के तहत नकद प्रोत्साहन या अन्य लाभों की हकदार नहीं होगी। यह परिवार नियोजन को प्रोत्साहित करने वाला एक उपाय है।
  • पंजीकरण और प्रसव का स्थान (सबसे महत्वपूर्ण):
    • महिला का Janani Suraksha Yojana के तहत पंजीकृत होना अनिवार्य है। आमतौर पर यह पंजीकरण गर्भावस्था के दौरान स्थानीय आंगनवाड़ी केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) या आशा कार्यकर्ता के माध्यम से कराया जाता है।
    • प्रसव अनिवार्य रूप से किसी सरकारी अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC), प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) या Janani Suraksha Yojana के लिए मान्यता प्राप्त निजी स्वास्थ्य संस्थान में ही होना चाहिए। घर पर प्रसव होने पर योजना का कोई भी लाभ नहीं मिलता है। संस्थागत प्रसव ही इस योजना की मूल भावना है।

जननी सुरक्षा योजना के लिए ऑनलाइन नामांकन कैसे करें? (अपडेटेड प्रक्रिया)

हालाँकि Janani Suraksha Yojana का पंजीकरण मुख्य रूप से मैदानी स्तर पर (आशा/एएनएम/आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के माध्यम से) होता है, कई राज्यों ने इसकी जानकारी और ट्रैकिंग को डिजिटल बनाने की दिशा में कदम उठाए हैं। ध्यान रखें कि पूर्ण ऑनलाइन आवेदन और लाभ प्राप्ति अभी भी सभी राज्यों में सीधे उपलब्ध नहीं हो सकती है। अक्सर ऑनलाइन पोर्टल सूचना और फॉर्म डाउनलोड के लिए होते हैं, जबकि वास्तविक पंजीकरण स्थानीय स्तर पर होता है। फिर भी, सामान्य प्रक्रिया इस प्रकार है:

  1. राज्य की आधिकारिक स्वास्थ्य/जननी सुरक्षा योजना वेबसाइट खोजें: सबसे पहले, आपको अपने राज्य के स्वास्थ्य विभाग या Janani Suraksha Yojana की आधिकारिक वेबसाइट का पता लगाना होगा। उदाहरण के लिए, कुछ राज्यों के पास अपने अलग पोर्टल हैं। आप “अपने राज्य का नाम + जननी सुरक्षा योजना” सर्च करके देख सकते हैं। या फिर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट (https://nhm.gov.in/) पर संबंधित लिंक देखें।
  2. ‘ऑनलाइन आवेदन’ या ‘पंजीकरण’ लिंक ढूँढें: वेबसाइट पर जाने के बाद, ‘ऑनलाइन आवेदन करें’, ‘नया पंजीकरण’, या इसी तरह का कोई विकल्प देखें। उस पर क्लिक करें। कुछ पोर्टल सीधे ऑनलाइन फॉर्म भरने की सुविधा दे सकते हैं, जबकि कुछ फॉर्म डाउनलोड का विकल्प दे सकते हैं।
  3. ऑफ़लाइन फ़ॉर्म डाउनलोड करना (यदि ऑनलाइन सबमिशन नहीं है): अगर राज्य पोर्टल पर सीधे ऑनलाइन फॉर्म भरने की सुविधा नहीं है, तो आपको ‘ऑफ़लाइन फ़ॉर्म डाउनलोड करें’ या ‘आवेदन फॉर्म’ जैसे विकल्प पर क्लिक करना होगा। आपको अंग्रेजी या हिंदी/स्थानीय भाषा में फॉर्म डाउनलोड करने का विकल्प मिलेगा। अपनी पसंदीदा भाषा चुनें और फॉर्म को अपने कंप्यूटर या फोन में सेव कर लें।
  4. फॉर्म को ध्यान से भरें: डाउनलोड किए गए फॉर्म (या ऑनलाइन फॉर्म) में सभी जरूरी जानकारी सावधानीपूर्वक और सही-सही भरें। इसमें आमतौर पर शामिल होता है:
    • गर्भवती महिला का पूरा नाम
    • पति का नाम
    • आयु (19 वर्ष या अधिक होना जरूरी)
    • पूरा पता (ग्राम, पोस्ट ऑफिस, ब्लॉक, जिला)
    • संपर्क नंबर
    • BPL राशन कार्ड/प्रमाण पत्र का विवरण
    • गर्भावस्था की तारीख
    • पहले जीवित बच्चों की संख्या
    • पंजीकरण कराने वाले स्वास्थ्य केंद्र/आशा कार्यकर्ता का विवरण
    • अपेक्षित प्रसव स्थान (मान्यता प्राप्त स्वास्थ्य संस्थान)
  5. जानकारी की सटीकता दोबारा जाँचें: फॉर्म भरने के बाद, हर बिंदु को दोबारा जाँच लें। गलत या अधूरी जानकारी के कारण आपका आवेदन रद्द हो सकता है या लाभ में देरी हो सकती है।
  6. आवश्यक दस्तावेजों की स्कैन कॉपी संलग्न करें (यदि ऑनलाइन सबमिट कर रहे हैं): अगर पोर्टल ऑनलाइन सबमिशन की सुविधा देता है, तो आपको फॉर्म के साथ निम्नलिखित दस्तावेजों की स्कैन कॉपी अपलोड करनी होगी:
    • गर्भवती महिला का पहचान प्रमाण (आधार कार्ड सबसे बेहतर)
    • पता प्रमाण (आधार कार्ड, राशन कार्ड, बिजली बिल आदि)
    • आयु प्रमाण (जन्म प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट)
    • BPL राशन कार्ड या BPL प्रमाण पत्र
    • गर्भावस्था का प्रमाण (चिकित्सक द्वारा जारी प्रमाण पत्र)
    • पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ
  7. फॉर्म सबमिट करें:
    • ऑनलाइन: अगर पोर्टल पर सीधे फॉर्म भरने की सुविधा है, तो सभी जानकारी भरने और दस्तावेज अपलोड करने के बाद ‘सबमिट’ बटन पर क्लिक करें।
    • ऑफ़लाइन: अगर आपने फॉर्म डाउनलोड करके भरा है, तो उसे प्रिंट करें। फिर उसके साथ जरूरी दस्तावेजों की स्व-साक्षी प्रतियाँ (सेल्फ अटेस्टेड कॉपी) लगाकर उसे नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC), सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC), आंगनवाड़ी केंद्र या जिम्मेदार आशा कार्यकर्ता को जमा कर दें।
  8. पावती/एप्लीकेशन नंबर सुरक्षित रखें: फॉर्म सफलतापूर्वक जमा करने के बाद (ऑनलाइन या ऑफलाइन), आपको एक पावती रसीद या एक यूनिक एप्लीकेशन/रेफरेंस नंबर मिलेगा। इसे नोट कर लें और सुरक्षित रखें। भविष्य में आवेदन की स्थिति जानने या किसी समस्या के समाधान के लिए यह नंबर काम आएगा।
  9. आशा/स्वास्थ्य कार्यकर्ता से संपर्क बनाए रखें: फॉर्म जमा करने के बाद भी अपनी आशा कार्यकर्ता या स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क में रहें। वे आपको पंजीकरण की स्थिति, जाँच के अपॉइंटमेंट और अंततः प्रसव के लिए अस्पताल जाने की प्रक्रिया के बारे में मार्गदर्शन करेंगी। याद रखें, योजना का पूरा लाभ पाने के लिए संस्थागत प्रसव अनिवार्य है।

Janani Suraksha Yojana के लिए आवश्यक दस्तावेज

Janani Suraksha Yojana में पंजीकरण कराने और लाभ प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित दस्तावेजों की आवश्यकता होती है। इन्हें तैयार रखने से प्रक्रिया आसान और तेज हो जाती है:

  1. गर्भवती महिला का पहचान प्रमाण: यह साबित करने के लिए कि आप कौन हैं। सबसे अच्छा विकल्प:
    • आधार कार्ड (सबसे पसंदीदा और व्यापक रूप से स्वीकृत)
    • वोटर आईडी कार्ड
    • पैन कार्ड (कम प्रचलित, लेकिन स्वीकार्य)
    • ड्राइविंग लाइसेंस
    • पासपोर्ट
  2. पता प्रमाण: यह साबित करने के लिए कि आप उसी इलाके के निवासी हैं जहाँ पंजीकरण करा रही हैं। स्वीकार्य दस्तावेज:
    • आधार कार्ड (पता सहित)
    • राशन कार्ड (BPL होना चाहिए)
    • बिजली का बिल (हाल के 2-3 महीने का)
    • पानी का बिल
    • घर का किराया समझौता (यदि किराए के मकान में रहते हैं)
    • निवास प्रमाण पत्र (स्थानीय प्रशासन द्वारा जारी)
  3. आयु प्रमाण: यह सुनिश्चित करने के लिए कि महिला की उम्र 19 वर्ष या उससे अधिक है। उपयोगी दस्तावेज:
    • जन्म प्रमाण पत्र
    • स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट (जिसमें जन्म तिथि हो)
    • आधार कार्ड
    • पासपोर्ट
    • पैन कार्ड
  4. गरीबी रेखा से नीचे (BPL) का प्रमाण: यह साबित करना कि आपका परिवार BPL श्रेणी में आता है। सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज:
    • BPL राशन कार्ड: यह सबसे आम और मान्यता प्राप्त प्रमाण है।
    • सरकार द्वारा जारी BPL प्रमाण पत्र (यदि राशन कार्ड न हो तो, ग्राम पंचायत/नगर निगम से प्राप्त किया जा सकता है)।
  5. गर्भावस्था का प्रमाण: यह साबित करने के लिए कि आप गर्भवती हैं।
    • चिकित्सक द्वारा जारी गर्भावस्था प्रमाण पत्र: किसी मान्यता प्राप्त डॉक्टर, सरकारी अस्पताल, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC), या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) द्वारा जारी किया गया प्रमाण पत्र। इसमें गर्भधारण की अनुमानित तिथि (EDD) भी होनी चाहिए।
  6. पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ: हालिया पासपोर्ट साइज की रंगीन फोटोग्राफ (आमतौर पर 2-4 कॉपी)।
  7. बैंक खाता विवरण (कभी-कभी): कुछ राज्य या स्थितियों में, लाभ राशि सीधे महिला के बैंक खाते में भेजी जाती है। ऐसे में बैंक खाते की पासबुक की फर्स्ट पेज की कॉपी या रद्द चेक की कॉपी की भी जरूरत पड़ सकती है। खाता महिला के नाम पर होना चाहिए। अगर नहीं है, तो जल्दी खाता खुलवाना चाहिए।
  8. पति का पहचान प्रमाण (कभी-कभी): कुछ फॉर्म में पति के आधार कार्ड या अन्य पहचान प्रमाण की कॉपी माँगी जा सकती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs) – जननी सुरक्षा योजना


जननी सुरक्षा योजना से जुड़े कुछ सामान्य सवालों के जवाब यहाँ दिए गए हैं:

  • प्रश्न: क्या Janani Suraksha Yojana पूरे भारत में लागू है?
    • उत्तर: हाँ, Janani Suraksha Yojana एक केंद्र प्रायोजित योजना है और यह भारत के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में लागू है। हालाँकि, नकद प्रोत्साहन की राशि राज्य की श्रेणी (LPS या HPS) और महिला के निवास स्थान (ग्रामीण/शहरी) के आधार पर अलग-अलग हो सकती है।
  • प्रश्न: अगर प्रसव सरकारी अस्पताल में नहीं, बल्कि मान्यता प्राप्त निजी अस्पताल में हुआ, तो क्या लाभ मिलेगा?
    • उत्तर: हाँ, अगर वह निजी अस्पताल या क्लिनिक Janani Suraksha Yojana के लिए राज्य सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त (एमरोल्ड) है, तो उसमें प्रसव कराने वाली पात्र महिला को योजना का पूरा लाभ मिल सकता है। पंजीकरण के समय या प्रसव से पहले इसकी पुष्टि जरूर कर लें।
  • प्रश्न: क्या दूसरे या तीसरे बच्चे के जन्म पर भी Janani Suraksha Yojana का लाभ मिलता है?
    • उत्तर: योजना का लाभ पाने के लिए महिला के अधिकतम दो जीवित बच्चे होने चाहिए। यानी:
      • पहले बच्चे के जन्म पर: लाभ मिलेगा (अगर अन्य पात्रता पूरी हो)।
      • दूसरे बच्चे के जन्म पर: लाभ मिलेगा (अगर अन्य पात्रता पूरी हो और दो से ज्यादा जीवित बच्चे न हों)।
      • तीसरे या उसके बाद के बच्चे के जन्म पर: लाभ नहीं मिलेगा, क्योंकि जीवित बच्चों की संख्या तीन या अधिक हो गई है।
  • प्रश्न: नकद प्रोत्साहन की राशि कब और कैसे मिलती है?
    • उत्तर: आमतौर पर, नकद प्रोत्साहन की राशि प्रसव के तुरंत बाद या उसी दिन अस्पताल/स्वास्थ्य केंद्र में ही मिल जाती है। कुछ राज्यों में इसे महिला के बैंक खाते में भी भेजा जा सकता है। ज्यादातर मामलों में, आशा कार्यकर्ता या अस्पताल प्रशासन इसे नकद या चेक के रूप में देते हैं। पैसा लेते समय रसीद जरूर लें।
  • प्रश्न: क्या आशा कार्यकर्ता के बिना भी पंजीकरण कराया जा सकता है?
    • उत्तर: हाँ, सैद्धांतिक रूप से, गर्भवती महिला या उसका परिवार सीधे नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC), सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC), या आंगनवाड़ी केंद्र पर जाकर भी पंजीकरण करा सकता है और फॉर्म जमा कर सकता है। हालाँकि, आशा कार्यकर्ता ही इस प्रक्रिया में सबसे सक्रिय और सहायक भूमिका निभाती हैं। वे न केवल पंजीकरण में मदद करती हैं, बल्कि गर्भावस्था की पूरी अवधि में जरूरी जानकारी और समर्थन भी देती हैं। उनसे संपर्क करना सबसे आसान और प्रभावी तरीका है।
  • प्रश्न: क्या इस योजना के तहत प्रसव पूर्व जाँच (एंटीनेटल चेकअप) का खर्च भी मिलता है?
    • उत्तर: Janani Suraksha Yojana मुख्य रूप से संस्थागत प्रसव के लिए नकद प्रोत्साहन पर केंद्रित है। हालाँकि, सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में प्रसव पूर्व जाँच (एंटीनेटल चेकअप) अक्सर निःशुल्क या नाममात्र शुल्क पर उपलब्ध होती है। कई राज्यों में अलग से प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY) जैसी योजनाएँ भी हैं, जो गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान वित्तीय सहायता प्रदान करती हैं। Janani Suraksha Yojana का लाभ लेने वाली महिलाएँ अन्य योजनाओं के लिए भी पात्र हो सकती हैं।
  • प्रश्न: क्या गर्भपात (एबॉर्शन) या मिसकैरेज की स्थिति में कोई सहायता मिलती है?
    • उत्तर: Janani Suraksha Yojana का प्राथमिक फोकस सुरक्षित संस्थागत प्रसव और उससे जुड़ी वित्तीय सहायता पर है। गर्भपात या मिसकैरेज के लिए विशेष रूप से इस योजना के तहत कोई सीधा नकद लाभ प्रावधान नहीं है। हालाँकि, सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं में कानूनी रूप से स्वीकृत परिस्थितियों में गर्भपात सेवाएँ (MTP – Medical Termination of Pregnancy) उपलब्ध हो सकती हैं, जिन पर अलग से शुल्क लागू हो सकता है। ऐसी स्थिति में स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र से परामर्श करना चाहिए।
  • प्रश्न: यदि पंजीकरण के बाद स्वास्थ्य केंद्र बदलना पड़े तो क्या करें?
    • उत्तर: अगर किसी कारणवश आपको प्रसव उस स्वास्थ्य केंद्र में नहीं कराना है जहाँ पंजीकरण कराया था, तो जल्द से जल्द अपनी आशा कार्यकर्ता या मूल केंद्र के अधिकारी को सूचित करें। उन्हें नए केंद्र का विवरण दें। जरूरी दस्तावेजों को नए केंद्र में ट्रांसफर करवाने में वे आपकी मदद कर सकते हैं ताकि लाभ प्राप्ति में कोई रुकावट न आए। नए केंद्र को भी पंजीकरण की जानकारी दें।

निष्कर्ष: मातृत्व सुरक्षा की एक मजबूत कड़ी

जननी सुरक्षा योजना (Janani Suraksha Yojana) ने अपने लगभग दो दशकों के सफर में भारत में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य की तस्वीर बदलने में अहम योगदान दिया है। यह योजना विशेष रूप से देश के सबसे गरीब और दूरदराज के इलाकों में रहने वाली गर्भवती महिलाओं के लिए एक विश्वसनीय सहारा बनकर उभरी है। नकद प्रोत्साहन ने संस्थागत प्रसव को आर्थिक रूप से संभव बनाया है, जबकि आशा कार्यकर्ताओं के नेटवर्क ने समुदाय स्तर पर जागरूकता और समर्थन पहुँचाया है।

इसके परिणामस्वरूप, देश में मातृ मृत्यु दर (MMR) और शिशु मृत्यु दर (IMR) में उल्लेखनीय गिरावट आई है। लाखों महिलाओं को गर्भावस्था और प्रसव के दौरान सम्मानजनक और सुरक्षित स्वास्थ्य सेवाएँ मिली हैं। यह योजना न केवल जीवन बचाती है, बल्कि महिला सशक्तिकरण और परिवार कल्याण को भी बढ़ावा देती है।

हाल के वर्षों में, Janani Suraksha Yojana को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए डिजिटल पहलों पर जोर दिया जा रहा है। कई राज्य अब पंजीकरण, ट्रैकिंग और कभी-कभी लाभ वितरण के लिए ऑनलाइन पोर्टल का उपयोग कर रहे हैं। आशा कार्यकर्ताओं को स्मार्टफोन और ऐप्स के जरिए बेहतर प्रशिक्षण और सहयोग दिया जा रहा है। स्वास्थ्य केंद्रों में गुणवत्ता में सुधार और जननी शिशु सुरक्षा कक्ष (JSK) जैसी सुविधाओं को मजबूत करने पर भी काम जारी है।

नवीनतम अपडेट का संकेत: सरकार लगातार Janani Suraksha Yojana की निगरानी और मूल्यांकन कर रही है। हाल में कुछ राज्यों में प्रोत्साहन राशि में संशोधन किए गए हैं या पात्रता मानदंडों को और स्पष्ट किया गया है। योजना को प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) जैसी अन्य स्वास्थ्य योजनाओं के साथ बेहतर तालमेल से चलाने पर भी विचार किया जा रहा है। आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका को और विस्तार देकर उन्हें टीकाकरण और अन्य स्वास्थ्य सेवाओं से जोड़ा जा रहा है।

जननी सुरक्षा योजना की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि इसकी जानकारी हर पात्र गर्भवती महिला तक कैसे पहुँचती है। आशा कार्यकर्ता, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, स्थानीय नेता और स्वास्थ्य कर्मी इस जागरूकता को फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अगर आप, आपकी कोई जानकारी या पड़ोस में कोई गर्भवती महिला है जो BPL परिवार से है और इस योजना के बारे में नहीं जानती, तो उसे प्रोत्साहित करें कि वह तुरंत अपनी आशा दीदी या नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करे। यह छोटा सा कदम उसके और उसके होने वाले बच्चे के जीवन को सुरक्षित और स्वस्थ बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है। Janani Suraksha Yojana सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि हर माँ के सुरक्षित मातृत्व का हक सुनिश्चित करने का एक सशक्त माध्यम है।

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