PM Dhan Dhanya Krishi Yojana: हमारे देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं हमारे अन्नदाता किसान। उनकी खुशहाली और आय बढ़ाने के लिए सरकार ने एक बहुत ही महत्वाकांक्षी योजना लॉन्च की है – प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना (PM Dhan-Dhanya Krishi Yojana)। यह योजना सिर्फ एक और स्कीम नहीं है, बल्कि देश के कृषि क्षेत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव लाने का वादा करती है।
केंद्रीय कैबिनेट ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में इस योजना को मंजूरी देकर कृषि उत्पादकता बढ़ाने, फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित करने और लाखों किसानों की आमदनी दोगुनी करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। अगले छह सालों तक चलने वाली यह योजना 2025-26 से शुरू होकर देश के चुनिंदा 100 जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू होगी। आइए, विस्तार से जानते हैं कि यह PM Dhan Dhanya Krishi Yojana क्या है, इसके क्या फायदे हैं, कौन इसका लाभ उठा सकता है और कैसे।
प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना का उद्देश्य: क्यों है यह जरूरी?
इस योजना के पीछे सरकार का मुख्य लक्ष्य देश में कृषि क्षेत्र को मजबूत बनाना और किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाना है। पिछले कुछ सालों में देखा गया है कि कुछ फसलों पर अत्यधिक निर्भरता, उत्पादन बढ़ने के बावजूद बाजार में उचित मूल्य न मिलना, भंडारण की कमी और फसल विविधीकरण का अभाव किसानों की मुश्किलें बढ़ा रहा है। PM Dhan Dhanya Krishi Yojana इन्हीं चुनौतियों का समाधान करने के लिए डिजाइन की गई है। इसका प्राथमिक उद्देश्य है फसल विविधीकरण (Crop Diversification) को बढ़ावा देना। साथ ही, यह योजना कृषि उत्पादकता (Agricultural Productivity) में वृद्धि, प्राकृतिक खेती (Natural Farming) को प्रोत्साहन, दलहन और तिलहन उत्पादन (Pulses and Oilseeds Production) में आत्मनिर्भरता लाने, बागवानी, पशुपालन और मत्स्यपालन (Horticulture, Animal Husbandry & Fisheries) जैसे संबद्ध क्षेत्रों को मजबूती प्रदान करने और किसानों की आय (Farmer Income) में सतत वृद्धि सुनिश्चित करने पर केंद्रित है। खास बात यह है कि यह सिर्फ उत्पादन तक सीमित नहीं है, बल्कि भंडारण (Storage) और फसलोत्तर प्रसंस्करण (Post-Harvest Processing) पर भी विशेष जोर देती है ताकि उपज की बर्बादी रोकी जा सके और किसानों को उनकी मेहनत का पूरा मूल्य मिल सके।
योजना की मुख्य विशेषताएं: क्या है खास?
PM Dhan Dhanya Krishi Yojana कोई एकल योजना नहीं है। यह एक एकीकृत फ्रेमवर्क है जिसके तहत केंद्र सरकार के 11 विभिन्न मंत्रालयों और विभागों की 36 मौजूदा योजनाओं (Existing Schemes) को समन्वित तरीके से लागू किया जाएगा। यही इसकी सबसे बड़ी खूबी है। इसका मतलब है कि अलग-अलग योजनाओं के लिए अलग-अलग आवेदन करने की झंझट अब कम होगी। जिला स्तर पर एक एकीकृत जिला कृषि कार्यक्रम (District Agriculture Plan – DAP) तैयार किया जाएगा, जिसमें इन सभी 36 योजनाओं को स्थानीय जरूरतों के हिसाब से लागू करने की रूपरेखा होगी। योजना को नीति आयोग (NITI Aayog) की देखरेख में चलाए जाने वाले आकांक्षी जिला कार्यक्रम (Aspirational Districts Programme – ADP) के जिलों में प्राथमिकता के साथ लागू किया जाएगा। योजना पर कुल हर साल लगभग 24,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे और अनुमान है कि इससे लगभग 1.7 करोड़ (1 करोड़ 70 लाख) किसान परिवार सीधे लाभान्वित होंगे। योजना की निगरानी केंद्र, राज्य और जिला – तीनों स्तरों पर की जाएगी ताकि धन का सही उपयोग हो और लक्ष्य हासिल किए जा सकें।
जिला चयन: किन 100 जिलों में लागू होगी योजना?
यह सवाल बहुत अहम है। PM Dhan Dhanya Krishi Yojana पूरे देश में एक साथ नहीं, बल्कि चुने हुए 100 जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू की जा रही है। इन जिलों का चयन तीन मुख्य पैरामीटर्स (मानदंडों) के आधार पर किया जाएगा:
- कम कृषि उत्पादकता वाले जिले (Districts with Low Agricultural Productivity): जहां प्रति हेक्टेयर उत्पादन राष्ट्रीय औसत से काफी नीचे है।
- अल्पावधि कृषि ऋण की कमी वाले जिले (Districts with Low Short-Term Agri-Credit): जहां किसानों को खेती के लिए पर्याप्त और सस्ता कर्ज नहीं मिल पा रहा है।
- कम फसल सघनता वाले जिले (Districts with Low Crop Intensity): जहां एक ही खेत में एक साल में फसलों के चक्र (कटाई-बुआई) की संख्या कम है, यानि जमीन का पूरा उपयोग नहीं हो पा रहा।
इन मानदंडों को देखते हुए ऐसे जिलों को प्राथमिकता मिलेगी जहां कृषि क्षेत्र में सुधार की सबसे ज्यादा जरूरत है और जहां इस योजना का सबसे अधिक प्रभाव दिखाई देगा। आकांक्षी जिला कार्यक्रम के तहत आने वाले जिलों को विशेष ध्यान दिया जाएगा।
योजना का फंडिंग मॉडल: पैसा कहां से आएगा और कैसे बंटेगा?
PM Dhan Dhanya Krishi Yojana के लिए धन का प्रबंधन पूरी तरह से केंद्र सरकार द्वारा किया जाएगा। फंडिंग की प्रक्रिया सीधी है:
- केंद्र सरकार (Central Government): योजना का पूरा बजट केंद्र सरकार द्वारा जारी किया जाएगा। वार्षिक बजट में इसके लिए अलग से प्रावधान किया गया है।
- राज्य सरकारें (State Governments): केंद्र सरकार योजना के लिए आवंटित धनराशि सीधे संबंधित राज्य सरकारों को हस्तांतरित करेगी।
- जिला स्तर (District Level): राज्य सरकारें प्राप्त फंड को चयनित जिलों के लिए तैयार किए गए जिला कृषि कार्यक्रम (DAP) के अनुसार जिला प्रशासन को जारी करेंगी।
- कार्यान्वयन एजेंसियां (Implementing Agencies): जिला प्रशासन इस फंड का उपयोग विभिन्न कार्यान्वयन एजेंसियों (जैसे कृषि विभाग, बागवानी विभाग, सहकारी समितियां, एफपीओ, स्वयं सहायता समूह आदि) के माध्यम से जमीनी स्तर पर योजना को लागू करने के लिए करेगा।
यह सुनिश्चित करने के लिए कि धन सही जगह और सही तरीके से खर्च हो, त्रिस्तरीय निगरानी तंत्र (केंद्र, राज्य, जिला) काम करेगा।
निजी क्षेत्र की भूमिका: सरकारी योजना में प्राइवेट पार्टनरशिप
PM Dhan Dhanya Krishi Yojana की एक बड़ी खासियत यह है कि इसमें निजी क्षेत्र (Private Sector) की सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाएगा। सरकार मानती है कि कृषि क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश और तकनीकी विशेषज्ञता के लिए निजी क्षेत्र की भागीदारी जरूरी है। निजी क्षेत्र मुख्य रूप से निम्न क्षेत्रों में योगदान देगा:
- फसल विविधीकरण और वैल्यू एडिशन (Crop Diversification & Value Addition): नई फसलों के बाजार, प्रसंस्कृत उत्पादों के लिए मार्केट लिंक स्थापित करना।
- भंडारण सुविधाएं (Storage Infrastructure): कोल्ड स्टोरेज, वेयरहाउसिंग जैसी आधुनिक भंडारण सुविधाओं का निर्माण और संचालन।
- फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स (Food Processing Units): कृषि उपज का मूल्य संवर्धन करने वाले प्रसंस्करण संयंत्र लगाना।
- तकनीक और नवाचार (Technology & Innovation): कृषि में ड्रोन टेक्नोलॉजी, सटीक खेती (Precision Farming), बीज प्रौद्योगिकी आदि में निवेश।
इन क्षेत्रों में निवेश करने के लिए सरकार निजी कंपनियों, कृषि उद्यमियों, कृषि-उत्पादक संगठनों (FPOs) और सहकारी संगठनों को विभिन्न प्रकार के प्रोत्साहन (Incentives) देने की योजना बना रही है, जैसे सब्सिडी, कर रियायतें और सरलीकृत नियम। इससे कृषि मूल्य श्रृंखला (Agricultural Value Chain) मजबूत होगी और किसानों को बेहतर मूल्य मिलेगा।
प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना के प्रमुख लाभ (Benefits)
इस योजना से देश के किसानों को कई स्तरों पर फायदा मिलने की उम्मीद है:
- बढ़ी हुई आय (Increased Income): फसल विविधीकरण, बेहतर मूल्य प्राप्ति, कम लागत (प्राकृतिक खेती) और फसलोत्तर नुकसान में कमी से किसानों की शुद्ध आय में उल्लेखनीय वृद्धि।
- जोखिम में कमी (Reduced Risk): एक ही फसल पर निर्भरता कम होने से मौसम या बाजार के झटकों का असर कम होगा। विविधिकरण से आय के स्रोत बढ़ेंगे।
- सस्ता और आसान ऋण (Subsidized & Easier Credit): योजना के तहत किसानों को खेती, पशुपालन, मत्स्यपालन, बागवानी आदि के लिए सस्ती ब्याज दरों पर ऋण सुविधा मिलेगी। इससे उनकी पूंजीगत जरूरतें पूरी होंगी।
- आधुनिक तकनीक और प्रशिक्षण (Modern Technology & Training): किसानों को उन्नत बीज, जैविक खाद, जल संरक्षण तकनीक, ड्रोन तकनीक आदि तक पहुंच और उनके उपयोग का प्रशिक्षण मिलेगा।
- बेहतर बाजार संपर्क (Improved Market Linkages): प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी और प्रसंस्करण इकाइयों से स्थानीय और राष्ट्रीय बाजारों तक सीधी पहुंच बनेगी। ई-नाम जैसे प्लेटफॉर्म का और विस्तार होगा।
- भंडारण और प्रसंस्करण सुविधाएं (Storage & Processing Facilities): कोल्ड स्टोरेज और वेयरहाउसिंग के विकास से फसल के बाद होने वाली बर्बादी में भारी कमी आएगी। प्रसंस्करण से उपज का मूल्य बढ़ेगा।
- पर्यावरण अनुकूल खेती (Eco-Friendly Farming): प्राकृतिक और जैविक खेती को बढ़ावा मिलने से मिट्टी की सेहत सुधरेगी, पानी की बचत होगी और पर्यावरण प्रदूषण कम होगा।
- दलहन-तिलहन में आत्मनिर्भरता (Self-Reliance in Pulses & Oilseeds): देश को इन जरूरी वस्तुओं के लिए आयात पर निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी।
महिला किसानों और छोटे किसानों को विशेष लाभ: प्राथमिकता का विषय
PM Dhan Dhanya Krishi Yojana में छोटे और सीमांत किसानों (Small and Marginal Farmers) तथा महिला किसानों (Women Farmers) को विशेष प्राथमिकता दी जाएगी। यह समझदारी भरा कदम है क्योंकि देश की अधिकांश खेती इन्हीं के दम पर चलती है। उन्हें लाभ पहुंचाने के लिए कुछ खास प्रावधान हैं:
- क्लस्टर आधारित दृष्टिकोण (Cluster-Based Approach): छोटे किसानों को क्लस्टर्स (समूहों) में संगठित किया जाएगा। इससे उन्हें बड़े पैमाने पर इनपुट खरीदने, तकनीक अपनाने, प्रसंस्करण करने और सामूहिक रूप से बाजार में उत्पाद बेचने में आसानी होगी। कृषि-उत्पादक संगठनों (FPOs) का गठन और सुदृढ़ीकरण इसका अहम हिस्सा होगा।
- स्वयं सहायता समूहों (SHGs) का सशक्तिकरण (Empowerment through SHGs): महिला किसानों और ग्रामीण महिलाओं को लाभ पहुंचाने का मुख्य जरिया महिला स्वयं सहायता समूह (Women Self-Help Groups – SHGs) होंगे। ये समूह योजना के तहत ऋण, प्रशिक्षण, इनपुट और बाजार लिंक प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
- कौशल विकास और उद्यमिता (Skill Development & Entrepreneurship): महिलाओं को विशेष रूप से ड्रोन दीदी, लखपति दीदी, बीसी सखी, पशु सखी, कृषि सखी जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से प्रशिक्षित किया जाएगा। ये महिलाएं अपने गांवों और क्षेत्रों में तकनीकी सहायता, पशु स्वास्थ्य सेवा, बैंकिंग सहायता और कृषि विस्तार सेवाएं प्रदान करेंगी, जिससे उनकी आय बढ़ेगी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा।
- स्वामित्व और नियंत्रण (Ownership & Control): योजना में यह सुनिश्चित करने पर जोर है कि लाभ सीधे महिला किसानों तक पहुंचे और संसाधनों पर उनका नियंत्रण बढ़े।
पात्रता मानदंड (Eligibility Criteria): कौन बन सकता है लाभार्थी?
PM Dhan Dhanya Krishi Yojana के लाभ पाने के लिए निम्नलिखित मुख्य पात्रता शर्तें हैं:
- निवास (Residence): लाभार्थी को भारत का निवासी होना चाहिए।
- पेशा (Profession): लाभार्थी का मुख्य पेशा कृषि, बागवानी, पशुपालन, मत्स्यपालन या इससे संबंधित गतिविधियां होना चाहिए। इसमें छोटे, सीमांत, बंटाईदार और भूमिहीन किसान भी शामिल हैं।
- जमीन का स्वामित्व (Land Ownership): कृषि संबंधी लाभों के लिए लाभार्थी के पास कृषि योग्य भूमि का स्वामित्व या पट्टा/बटाईदारी का अधिकार होना चाहिए। हालांकि, पशुपालन, मत्स्यपालन, डेयरी, मुर्गीपालन या कृषि से संबंधित उद्यमिता से जुड़े घटकों के लिए भूमि स्वामित्व अनिवार्य नहीं हो सकता है। भूमिहीन मजदूर भी कुछ कौशल विकास और रोजगार से जुड़े घटकों के लिए पात्र हो सकते हैं।
- जिला (District): लाभार्थी का निवास या खेती योजना के अंतर्गत चयनित 100 जिलों में से किसी एक में होना अनिवार्य है। (शुरुआती चरण में)।
- प्राथमिकता समूह (Priority Groups):
- छोटे और सीमांत किसान (1-2 हेक्टेयर तक जोत वाले)
- महिला किसान
- अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के किसान
- कृषि-उत्पादक संगठनों (FPOs) और स्वयं सहायता समूहों (SHGs) के सदस्य
- आधार लिंक (Aadhaar Linking): लाभ सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में डीबीटी (Direct Benefit Transfer) के माध्यम से ट्रांसफर किए जाएंगे, इसलिए बैंक खाते का आधार से लिंक होना जरूरी है।
- व्यावसायिक इकाइयां (For Enterprises): प्रसंस्करण इकाइयां, एफपीओ, सहकारी समितियां आदि लागू होने वाली विशिष्ट उप-योजनाओं के लिए निर्धारित मानदंडों को पूरा करना होगा।
आवेदन प्रक्रिया (Application Process): कैसे करें आवेदन?
चूंकि योजना अभी शुरुआती चरण (2025-26) में है और पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चल रही है, इसलिए आवेदन प्रक्रिया का पूरा विवरण अभी सार्वजनिक नहीं हुआ है। हालांकि, संभावित प्रक्रिया निम्नलिखित चरणों पर आधारित होने की उम्मीद है:
- पंजीकरण (Registration): लाभार्थियों को सबसे पहले अपने जिले के कृषि विभाग या संबंधित अधिकारी के पास पंजीकरण कराना होगा। यह पंजीकरण ऑनलाइन (राज्य या केंद्रीय कृषि पोर्टल के माध्यम से) या ऑफलाइन (कॉमन सर्विस सेंटर – सीएससी या कृषि अधिकारी के कार्यालय में) किया जा सकेगा।
- पात्रता की जांच (Eligibility Verification): पंजीकरण के बाद, अधिकारियों द्वारा दिए गए विवरणों (जैसे जमीन के कागजात, आधार, बैंक खाता विवरण, जाति/वर्ग प्रमाण पत्र आदि) की जांच की जाएगी।
- जिला कृषि कार्यक्रम (DAP) के तहत लाभ का चयन (Benefit Selection under DAP): पंजीकृत और पात्र पाए गए लाभार्थियों को उनके जिले के लिए बनाए गए जिला कृषि कार्यक्रम (DAP) में शामिल विभिन्न योजनाओं (जैसे सब्सिडी वाले बीज/उपकरण, प्रशिक्षण, ऋण सहायता, पशुधन वितरण आदि) के लिए विचार किया जाएगा।
- लाभ का वितरण (Benefit Disbursal): मंजूरी मिलने के बाद, लाभ (सब्सिडी राशि, सामग्री, ऋण लिंकेज) सीधे लाभार्थी के आधार से लिंक्ड बैंक खाते में डीबीटी के माध्यम से या जमीन पर वितरित किया जाएगा।
जरूरी दस्तावेज (Documents Required)
हालांकि आधिकारिक सूची जारी होना बाकी है, लेकिन संभावित रूप से निम्नलिखित दस्तावेजों की आवश्यकता हो सकती है:
- आधार कार्ड (Aadhaar Card)
- पहचान प्रमाण पत्र (Identity Proof – वोटर आईडी, पैन कार्ड आदि)
- निवास प्रमाण पत्र (Address Proof)
- भूमि स्वामित्व/कब्जे का प्रमाण पत्र (Land Ownership/Possession Documents – खतौनी, खसरा, पट्टा दस्तावेज आदि)
- बैंक खाता विवरण (Bank Account Details) – पासबुक या कैंसिल चेक की कॉपी (आधार लिंक्ड)
- जाति प्रमाण पत्र (Caste Certificate – यदि एससी/एसटी/ओबीसी श्रेणी के लिए आवेदन कर रहे हैं)
- पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ (Passport Size Photograph)
- मोबाइल नंबर (Mobile Number – पंजीकरण के लिए)
निगरानी और मूल्यांकन: सफलता सुनिश्चित करने के लिए
यह सुनिश्चित करने के लिए कि प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना अपने लक्ष्यों को प्राप्त करे और धन का सही उपयोग हो, एक मजबूत त्रिस्तरीय निगरानी और मूल्यांकन (Monitoring & Evaluation – M&E) तंत्र स्थापित किया जाएगा:
- जिला स्तर (District Level): जिला कलेक्टर/जिला मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में एक समिति गठित की जाएगी, जो योजना के जिला कार्यक्रम (DAP) के कार्यान्वयन, फंड के उपयोग और लाभार्थियों तक लाभ पहुंचाने की नियमित समीक्षा करेगी। फील्ड विजिट और सोशल ऑडिट भी होंगे।
- राज्य स्तर (State Level): राज्य सरकार द्वारा गठित एक उच्च-स्तरीय समिति सभी चयनित जिलों में योजना की प्रगति की निगरानी करेगी, चुनौतियों का समाधान करेगी और केंद्र सरकार को रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।
- केंद्रीय स्तर (Central Level): केंद्र सरकार के अंतर्गत एक राष्ट्रीय समन्वय समिति योजना की समग्र प्रगति, फंड के उपयोग और राष्ट्रीय लक्ष्यों की प्राप्ति पर नजर रखेगी। नीति आयोग (NITI Aayog) भी प्रगति का मूल्यांकन करेगा।
- आईटी प्लेटफॉर्म (IT Platform): एक केंद्रीकृत ऑनलाइन पोर्टल विकसित किया जा सकता है जहां पंजीकरण, फंड फ्लो, लाभ वितरण और प्रगति रिपोर्टिंग की रियल-टाइम ट्रैकिंग की जा सकेगी। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी।
- तीसरे पक्ष का मूल्यांकन (Third-Party Evaluation): योजना के प्रभाव और परिणामों का आकलन करने के लिए समय-समय पर स्वतंत्र एजेंसियों द्वारा मूल्यांकन कराया जाएगा।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
PM Dhan Dhanya Krishi Yojana कब शुरू हुई?
केंद्रीय कैबिनेट ने इस योजना को मंजूरी दी है और यह वित्तीय वर्ष 2025-26 से लागू होगी। यानी अप्रैल 2025 के बाद से चुने हुए 100 जिलों में इसका क्रियान्वयन शुरू हो जाएगा।
क्या यह योजना पूरे देश में लागू है?
नहीं, शुरुआत में नहीं। यह योजना पहले चरण में देश के चुने हुए 100 जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू की जाएगी। इन जिलों का चयन कम उत्पादकता, कम कृषि ऋण और कम फसल सघनता जैसे मानदंडों पर किया जाएगा। सफलता मिलने पर इसे अन्य जिलों में भी विस्तारित किया जा सकता है।
मैं कैसे जान सकता हूं कि मेरा जिला इस योजना में शामिल है?
चयनित 100 जिलों की आधिकारिक सूची कृषि मंत्रालय या संबंधित राज्य सरकारों की वेबसाइटों पर जारी की जाएगी। आप अपने जिले के कृषि विभाग के कार्यालय से भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। अभी तक पूरी सूची जारी नहीं हुई है।
इस योजना में आवेदन कैसे करें?
आवेदन प्रक्रिया का विस्तृत विवरण योजना के शुरू होने के करीब (2025 में) जारी किया जाएगा। संभावना है कि पंजीकरण ऑनलाइन (राज्य/केंद्र के कृषि पोर्टल) या ऑफलाइन (सीएससी या कृषि अधिकारी के कार्यालय में) कराया जा सकेगा। अपने जिले के कृषि विभाग से संपर्क बनाए रखें।
क्या भूमिहीन किसान या मजदूर इस योजना का लाभ उठा सकते हैं?
हां, कुछ हद तक। जबकि कृषि भूमि संबंधी लाभों के लिए भूमि स्वामित्व या कब्जा जरूरी हो सकता है, लेकिन योजना में पशुपालन, मत्स्यपालन, मुर्गीपालन, डेयरी, कौशल विकास प्रशिक्षण, स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से ऋण, या कृषि से संबंधित उद्यमिता जैसे घटक शामिल हैं। इनके लिए भूमि स्वामित्व अनिवार्य नहीं हो सकता। भूमिहीन मजदूर विशेष रोजगार या कौशल विकास कार्यक्रमों के लिए पात्र हो सकते हैं।
इस योजना के तहत ऋण कैसे मिलेगा?
योजना के तहत किसानों को बैंकों और वित्तीय संस्थानों के माध्यम से सब्सिडी वाली ब्याज दरों पर ऋण उपलब्ध कराया जाएगा। ऋण लेने की प्रक्रिया सामान्य कृषि ऋण के समान होगी, लेकिन योजना के अंतर्गत पंजीकृत लाभार्थियों को प्राथमिकता या अतिरिक्त सुविधाएं मिल सकती हैं। सटीक जानकारी योजना लागू होने पर उपलब्ध होगी।
महिला किसानों को क्या विशेष लाभ मिलेंगे?
हां, बिल्कुल। महिला किसानों और स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को इस योजना में उच्च प्राथमिकता दी जाएगी। उन्हें क्लस्टर बनाकर लाभ दिया जाएगा। विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम (जैसे ड्रोन दीदी, पशु सखी, कृषि सखी) के जरिए उन्हें सशक्त बनाया जाएगा। ऋण और अन्य संसाधनों तक उनकी पहुंच आसान बनाई जाएगी।
निजी कंपनियां इस योजना में कैसे भाग ले सकती हैं?
निजी कंपनियां, एफपीओ, सहकारी समितियां और कृषि उद्यमी योजना के तहत भंडारण सुविधाएं (कोल्ड स्टोरेज, वेयरहाउस), फूड प्रोसेसिंग यूनिट, फसल विविधीकरण कार्यक्रम, बाजार लिंकेज और तकनीकी समाधान प्रदान करने में भागीदारी कर सकते हैं। सरकार उन्हें सब्सिडी, कर रियायतों जैसे प्रोत्साहन प्रदान करेगी। आधिकारिक दिशा-निर्देशों के लिए कृषि मंत्रालय की वेबसाइट देखें।
क्या यह योजना पुरानी योजनाओं की जगह लेगी?
नहीं, बिल्कुल नहीं। यह योजना 11 विभागों की 36 मौजूदा योजनाओं (जैसे प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, किसान क्रेडिट कार्ड, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के कुछ हिस्से आदि) को एकीकृत और समन्वित करेगी। इन योजनाओं को बंद नहीं किया जाएगा, बल्कि चयनित जिलों में इस नए फ्रेमवर्क के तहत बेहतर तालमेल के साथ चलाया जाएगा।
निष्कर्ष: कृषि क्षेत्र के लिए एक नई उम्मीद
PM Dhan Dhanya Krishi Yojana भारतीय कृषि के भविष्य के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण और सकारात्मक कदम है। यह सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि कृषि क्षेत्र में होने वाले सुधारों के लिए एक समग्र दृष्टिकोण है। विभिन्न विभागों की योजनाओं को एक साथ लाकर, जिला-विशिष्ट रणनीतियां बनाकर, निजी क्षेत्र को साथ जोड़कर और छोटे किसानों तथा महिलाओं को केंद्र में रखकर यह योजना वास्तविक बदलाव लाने की क्षमता रखती है। फसल विविधीकरण, उत्पादकता वृद्धि, भंडारण और प्रसंस्करण सुविधाओं पर जोर, और किसानों की आय बढ़ाने का लक्ष्य सराहनीय है। हालांकि, इसकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि इसे कितनी प्रभावी ढंग से लागू किया जाता है, फंड का उपयोग कितना पारदर्शी होता है, और लाभ वास्तव में जमीनी स्तर के छोटे किसानों तक पहुंच पाते हैं या नहीं। त्रिस्तरीय निगरानी तंत्र एक अच्छी शुरुआत है। अगर इन सभी पहलुओं पर ठीक से ध्यान दिया गया, तो निश्चित रूप से यह योजना देश के कृषि क्षेत्र के लिए गेमचेंजर साबित हो सकती है और हमारे अन्नदाताओं की माली हालत सुधारने में अहम भूमिका निभा सकती है। PM Dhan Dhanya Krishi Yojana के तहत चुने गए 100 जिलों के किसानों को इसका लाभ जल्द मिले, यही कामना है।


