Wednesday, August 6, 2025
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PM Vishwakarma Yojana

PM Vishwakarma Yojana भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य देश के पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को सशक्त बनाना है। यह योजना उन लाखों ‘विश्वकर्माओं’ के लिए एक नई सुबह लेकर आई है जो अपनी कला और कौशल से भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखे हुए हैं। 17 सितंबर, 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई यह केंद्रीय क्षेत्र की योजना हस्तशिल्प और उपकरण-आधारित व्यवसायों में लगे कारीगरों को व्यापक सहायता प्रदान करने के लिए डिज़ाइन की गई है। इसका लक्ष्य उन्हें औपचारिक अर्थव्यवस्था में एकीकृत करना, उनके कौशल को बढ़ाना, आधुनिक उपकरण प्रदान करना और वित्तीय सहायता के माध्यम से उनकी बाजार पहुंच में सुधार करना है। यह लेख आपको PM Vishwakarma Yojana के विभिन्न पहलुओं – इसकी ब्याज दर, लाभ, पात्रता मानदंड और आवेदन प्रक्रिया – की विस्तृत जानकारी प्रदान करेगा।

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योजना का नाम ‘विश्वकर्मा’ समुदाय से जोड़ना केवल एक नामकरण नहीं है, बल्कि यह पारंपरिक कारीगरों के प्रति सरकार के सम्मान और उनकी पहचान को मजबूत करने की एक गहरी रणनीति है। ‘विश्वकर्मा’ शब्द भारतीय पौराणिक कथाओं में दिव्य वास्तुकार और शिल्पकार का प्रतीक है। योजना का नामकरण इस समुदाय के सदस्यों को सीधे संबोधित करता है और उन्हें एक सम्मानित पहचान प्रदान करता है। यह केवल वित्तीय सहायता नहीं है, बल्कि यह सांस्कृतिक पहचान और सामाजिक सम्मान का भी प्रतीक है। इससे कारीगरों में अपने पारंपरिक व्यवसायों को जारी रखने और उसमें उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए प्रेरणा और गर्व की भावना जागृत होती है, जो अंततः योजना की सफलता में योगदान देता है। इसके अतिरिक्त, इस योजना का ‘केंद्रीय क्षेत्र’ की योजना होना यह दर्शाता है कि इसका वित्तपोषण पूरी तरह से केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है, जिससे राज्यों पर वित्तीय बोझ कम होता है और योजना का कार्यान्वयन अधिक सुसंगत और कुशल तरीके से हो पाता है। केंद्रीय क्षेत्र की योजना होने का मतलब है कि केंद्र सरकार ही पूरी फंडिंग करती है। इससे योजना के लिए धन की उपलब्धता सुनिश्चित होती है और राज्य सरकारों को अपने सीमित संसाधनों से योगदान करने की आवश्यकता नहीं होती। यह एक समान नीति और कार्यान्वयन दृष्टिकोण सुनिश्चित करता है, जिससे देश भर के कारीगरों को बिना किसी क्षेत्रीय असमानता के समान लाभ मिल सके। यह योजना की व्यापक पहुंच और प्रभावशीलता के लिए महत्वपूर्ण है।

योजना के उद्देश्य

PM Vishwakarma Yojana का प्राथमिक लक्ष्य भारत के पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को आत्मनिर्भर बनाना और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार करना है। यह योजना इन ‘विश्वकर्माओं’ को उनके पारंपरिक कौशल को बनाए रखने और आधुनिक चुनौतियों का सामना करने में मदद करने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाती है।

योजना का एक प्रमुख उद्देश्य कारीगरों और शिल्पकारों को ‘विश्वकर्मा’ के रूप में औपचारिक पहचान प्रदान करना है, जिससे वे योजना के तहत उपलब्ध सभी लाभों के लिए पात्र हो सकें । यह उन्हें एक विशिष्ट पहचान प्रदान करता है जो उनके पारंपरिक ज्ञान और कौशल को मान्यता देता है और समाज में उनके योगदान को सम्मान दिलाता है। इसके साथ ही, योजना कौशल उन्नयन पर विशेष ध्यान देती है। इसका लक्ष्य पारंपरिक कौशल को निखारना और उन्हें आधुनिक तकनीकों से लैस करने के लिए प्रशिक्षण के अवसर प्रदान करना है। इस पहल का उद्देश्य उत्पादों की गुणवत्ता, उत्पादकता और दक्षता में सुधार करना है, जिससे कारीगर बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी बन सकें

आधुनिक उपकरण और प्रौद्योगिकी तक पहुंच भी इस योजना का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। कारीगरों को बेहतर और आधुनिक उपकरण खरीदने के लिए सहायता प्रदान की जाती है, जिससे उनकी कार्यक्षमता और उत्पादों की गुणवत्ता में वृद्धि हो । यह सुनिश्चित करता है कि वे पुराने, अक्षम उपकरणों पर निर्भर न रहें, बल्कि नई तकनीकों का लाभ उठाएं। वित्तीय सहायता के मोर्चे पर, योजना संपार्श्विक-मुक्त ‘उद्यम विकास ऋण’ तक आसान पहुंच प्रदान करती है और ब्याज सबवेंशन के माध्यम से ऋण की लागत को कम करने का लक्ष्य रखती है । यह उन्हें अपने व्यवसायों का विस्तार करने या नए उद्यम शुरू करने के लिए आवश्यक पूंजी प्रदान करता है, जिससे साहूकारों पर उनकी निर्भरता कम होती है।

डिजिटल सशक्तिकरण भी एक प्रमुख उद्देश्य है। डिजिटल लेनदेन को प्रोत्साहित करने के लिए प्रोत्साहन प्रदान किया जाता है, जिससे कारीगरों को डिजिटल अर्थव्यवस्था में एकीकृत किया जा सके । यह उन्हें आधुनिक वित्तीय प्रणालियों का उपयोग करने में सहजता प्रदान करता है, जिससे उनके लेनदेन अधिक सुरक्षित और कुशल बनते हैं। अंत में, योजना ब्रांड प्रचार और बाजार लिंकेज के लिए एक मंच प्रदान करती है, जिससे ‘विश्वकर्माओं’ को विकास के नए अवसर मिल सकें । इसमें गुणवत्ता प्रमाणन, ब्रांडिंग, GeM (Government e-Marketplace) जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर ऑनबोर्डिंग, विज्ञापन और प्रचार शामिल हैं, जो उनके उत्पादों को व्यापक बाजार तक पहुंचाने में मदद करते हैं।

योजना का ‘एंड-टू-एंड सपोर्ट’ प्रदान करने पर जोर, केवल वित्तीय सहायता से कहीं अधिक है। यह एक समग्र दृष्टिकोण को दर्शाता है जो कारीगरों को पहचान से लेकर बाजार तक हर कदम पर मदद करता है, जिससे उनकी आत्मनिर्भरता और आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित होती है। अक्सर सरकारी योजनाएं केवल एक या दो पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करती हैं, जैसे केवल ऋण या केवल प्रशिक्षण। लेकिन PM Vishwakarma Yojana ‘एंड-टू-एंड सपोर्ट’ की बात करती है, जिसका अर्थ है कि यह पहचान, कौशल, उपकरण, ऋण, डिजिटल लेनदेन और विपणन जैसे सभी महत्वपूर्ण पहलुओं को कवर करती है। यह एक एकीकृत रणनीति है जो कारीगरों को आत्मनिर्भर बनने और अपने उत्पादों को बाजार तक पहुंचाने में आने वाली हर बाधा को दूर करने में मदद करती है। यह सुनिश्चित करता है कि सहायता खंडित न हो, बल्कि एक पूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करे।

इसके अतिरिक्त, ‘उद्यम असिस्ट प्लेटफॉर्म’ पर लाभार्थियों का पंजीकरण उन्हें औपचारिक MSME (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) पारिस्थितिकी तंत्र में एकीकृत करने की एक महत्वपूर्ण रणनीति है, जिससे उन्हें बड़े व्यवसायों और सरकारी परियोजनाओं से जुड़ने के अवसर मिलते हैं। पारंपरिक कारीगर अक्सर अनौपचारिक क्षेत्र में काम करते हैं, जिससे उन्हें संस्थागत समर्थन और बाजार पहुंच प्राप्त करने में कठिनाई होती है। उद्यम असिस्ट प्लेटफॉर्म पर पंजीकरण करके, उन्हें एक औपचारिक पहचान मिलती है, जो उन्हें MSME क्षेत्र के तहत उपलब्ध अन्य लाभों (जैसे सरकारी खरीद, क्रेडिट रेटिंग, आदि) का लाभ उठाने में सक्षम बनाता है। यह उन्हें बड़े बाजार से जोड़ता है, उनकी दृश्यता बढ़ाता है और उनके व्यवसाय के विस्तार के लिए नए रास्ते खोलता है, जिससे उनकी आय और स्थिरता बढ़ती है।

PM Vishwakarma Yojana के लाभ

PM Vishwakarma Yojana कारीगरों और शिल्पकारों को कई महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करती है, जो उनके कौशल, वित्तीय स्थिरता और बाजार पहुंच को बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। ये लाभ उन्हें पारंपरिक उत्पादों और सेवाओं को बढ़ाने में मदद करते हैं।

पहचान और प्रमाणन

इस योजना के तहत, कारीगरों और शिल्पकारों को ‘विश्वकर्मा’ के रूप में औपचारिक पहचान मिलती है। उन्हें एक प्रधानमंत्री विश्वकर्मा प्रमाणपत्र और एक आईडी कार्ड जारी किया जाता है । यह पहचान उन्हें योजना के तहत सभी लाभों का लाभ उठाने के योग्य बनाती है और उनके मूल्यवान योगदान को मान्यता देती है। यह आईडी कार्ड डिजिटल और भौतिक दोनों रूपों में उपलब्ध होता है । पारंपरिक कारीगर अक्सर अनौपचारिक क्षेत्र में काम करते हैं, जहाँ उनकी पहचान और कौशल को औपचारिक मान्यता नहीं मिलती है। प्रमाण पत्र और आईडी कार्ड का प्रावधान उन्हें औपचारिक पहचान देता है। यह पहचान उन्हें औपचारिक MSME पारिस्थितिकी तंत्र में एकीकृत करती है । यह केवल एक कागजी कार्रवाई नहीं है, बल्कि यह कारीगरों को एक औपचारिक पहचान प्रदान करता है, जिससे उन्हें वित्तीय संस्थानों, ग्राहकों और बड़े व्यवसायों के साथ व्यवहार करते समय विश्वसनीयता मिलती है। यह अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों को औपचारिक अर्थव्यवस्था में लाने का एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे उन्हें बेहतर अवसर और सुरक्षा मिलती है।

कौशल उन्नयन और प्रशिक्षण

योजना कौशल विकास के अवसर प्रदान करती है, जिसमें दो स्तरों का प्रशिक्षण शामिल है:

  • बुनियादी प्रशिक्षण: यह 5-7 दिनों (40 घंटे) का होता है और पारंपरिक कौशल को औपचारिक बनाने और उन्हें उन्नत करने पर केंद्रित होता है । यह कार्यक्रम विशेष व्यापार से संबंधित मूलभूत कौशल को संबोधित करता है, जिससे गुणवत्ता, उत्पादकता और दक्षता में वृद्धि होती है।
  • उन्नत प्रशिक्षण: यह 15 दिनों या उससे अधिक (120 घंटे) का होता है, उन लोगों के लिए जो अपने कौशल को और निखारना चाहते हैं और नवीन तकनीकों का पता लगाना चाहते हैं । यह कार्यक्रम उन व्यक्तियों के लिए डिज़ाइन किया गया है जो अपने कौशल को और निखारना चाहते हैं और नवीन तकनीकों का पता लगाना चाहते हैं, जिससे उच्च-मूल्य वाले उत्पादों और सेवाओं के निर्माण के अवसर खुलते हैं।

प्रशिक्षण अवधि के दौरान, लाभार्थियों को ₹500 प्रति दिन का वजीफा (स्टाइपेंड) प्रदान किया जाता है । यह दैनिक खर्चों को पूरा करने और सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा देने में मदद करता है। ₹500 प्रतिदिन का प्रशिक्षण वजीफा यह सुनिश्चित करता है कि कारीगर प्रशिक्षण के दौरान अपनी आजीविका खोने के डर के बिना अपने कौशल को उन्नत कर सकें। पारंपरिक कारीगर अक्सर अपनी दैनिक आय पर निर्भर होते हैं। प्रशिक्षण के लिए समय निकालने का मतलब उनके लिए आय का नुकसान हो सकता है। ₹500 का दैनिक वजीफा इस आय के नुकसान की भरपाई करता है, जिससे वे बिना किसी वित्तीय चिंता के प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित कर सकें।

यह योजना पारंपरिक कारीगरों को केवल उनके पैतृक कौशल को जारी रखने के लिए प्रोत्साहित नहीं करती है, बल्कि उन्हें नई तकनीकों और उपकरणों के साथ अद्यतन करके उन्हें अधिक प्रतिस्पर्धी बनाती है। यह उनके उत्पादों की गुणवत्ता और दक्षता में सुधार करता है, जिससे उन्हें व्यापक बाजार तक पहुंचने और अपनी आय बढ़ाने में मदद मिलती है। वजीफा यह सुनिश्चित करता है कि प्रशिक्षण अवधि के दौरान उनकी आजीविका प्रभावित न हो।

टूलकिट प्रोत्साहन

बुनियादी कौशल प्रशिक्षण की शुरुआत में, प्रतिभागियों को ₹15,000 तक का टूलकिट प्रोत्साहन ई-वाउचर के रूप में प्रदान किया जाता है । यह उन्हें बेहतर और आधुनिक उपकरण खरीदने में मदद करता है, जिससे उनकी उत्पादकता और उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ती है। ₹15,000 का टूलकिट प्रोत्साहन सीधे ‘बेहतर और आधुनिक उपकरण’ प्राप्त करने के लिए है । इन उपकरणों का उद्देश्य ‘क्षमता, उत्पादकता और उत्पादों की गुणवत्ता’ बढ़ाना है। यह प्रोत्साहन कारीगरों को पुराने, अक्षम उपकरणों से आधुनिक, कुशल उपकरणों में अपग्रेड करने में सक्षम बनाता है। इसका सीधा परिणाम उनकी कार्यक्षमता में वृद्धि, कम समय में अधिक उत्पादन और बेहतर गुणवत्ता वाले उत्पादों का निर्माण होता है। यह उन्हें बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी बनाता है और उनकी आय क्षमता को बढ़ाता है।  

ऋण सहायता और वित्तीय सहायता

यह योजना संपार्श्विक-मुक्त ‘उद्यम विकास ऋण’ प्रदान करती है, जिससे कारीगरों को आसानी से पूंजी मिल सके । इसका मतलब है कि कारीगरों को ऋण प्राप्त करने के लिए किसी संपत्ति को गिरवी रखने की आवश्यकता नहीं है, जो उनके लिए एक बड़ी बाधा को दूर करता है।  

ब्याज दर और सब्सिडी

ऋण पर रियायती ब्याज दर 5% प्रति वर्ष निर्धारित की गई है । भारत सरकार द्वारा 8% तक की ब्याज सब्सिडी (सबवेंशन) प्रदान की जाती है, जिसका भुगतान सीधे बैंकों को MoMSME द्वारा किया जाता है । इससे कारीगरों के लिए ऋण की प्रभावी लागत काफी कम हो जाती है। क्रेडिट गारंटी शुल्क भी भारत सरकार द्वारा वहन किया जाता है । ऋण वितरण के 6 महीने बाद कोई पूर्व भुगतान जुर्माना नहीं लिया जाता है ।  

5% की रियायती ब्याज दर और 8% की सरकारी ब्याज सब्सिडी यह दर्शाती है कि सरकार का उद्देश्य केवल ऋण देना नहीं है, बल्कि कारीगरों पर वित्तीय बोझ को कम करना और उन्हें वास्तव में सस्ती पूंजी तक पहुंच प्रदान करना है, जिससे उनके व्यवसाय की व्यवहार्यता बढ़ती है। यदि बाजार में ब्याज दरें अधिक होती हैं, तो छोटे व्यवसायों के लिए ऋण लेना और चुकाना मुश्किल हो जाता है। 5% की कम ब्याज दर और 8% की सब्सिडी का मतलब है कि सरकार ऋण की लागत का एक बड़ा हिस्सा वहन कर रही है। यह कारीगरों के लिए ऋण को अत्यधिक किफायती बनाता है, जिससे वे साहूकारों या उच्च-ब्याज वाले अनौपचारिक ऋणों पर निर्भरता से बचते हैं। कम ब्याज दर और सरकार द्वारा वहन किए जाने वाले गारंटी शुल्क से बैंकों के लिए भी ऋण देना आकर्षक बनता है, जिससे ऋण तक पहुंच बढ़ती है और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिलता है। यह एक स्पष्ट संकेत है कि सरकार का लक्ष्य आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है, न कि केवल ऋण प्रदान करना।  

ऋण की किश्तें और चुकौती अवधि

ऋण दो किश्तों में वितरित किया जाता है:

  • पहली किश्त: ₹1 लाख तक, जिसकी चुकौती अवधि 18 महीने है । यह बुनियादी प्रशिक्षण पूरा करने के बाद उपलब्ध होती है ।  
  • दूसरी किश्त: ₹2 लाख तक, जिसकी चुकौती अवधि 30 महीने है । यह पहली किश्त का संतोषजनक ढंग से पुनर्भुगतान करने, एक मानक ऋण खाता बनाए रखने, और अपने व्यवसाय में डिजिटल लेनदेन अपनाने, या उन्नत प्रशिक्षण पूरा करने के बाद उपलब्ध होती है । दूसरी किश्त पहली किश्त के वितरण के 6 महीने बाद ही स्वीकृत की जा सकती है ।  

संपार्श्विक-मुक्त ऋण उन कारीगरों के लिए महत्वपूर्ण है जिनके पास पारंपरिक ऋण के लिए संपार्श्विक नहीं होता है। दो चरणों में ऋण वितरण और दूसरी किश्त के लिए ‘मानक ऋण खाता बनाए रखने’ और ‘डिजिटल लेनदेन अपनाने’ जैसी शर्तें शामिल हैं। यह दृष्टिकोण उन लोगों के लिए वित्तीय सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करता है जो पारंपरिक बैंकिंग प्रणाली से बाहर रह गए थे। दो चरणों में ऋण वितरण से यह सुनिश्चित होता है कि लाभार्थी ऋण का जिम्मेदारी से उपयोग करें और अपने व्यवसाय में प्रगति करें। डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने से वित्तीय पारदर्शिता और आधुनिक बैंकिंग आदतों को अपनाने में मदद मिलती है, जिससे दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता को बढ़ावा मिलता है।  

डिजिटल लेनदेन प्रोत्साहन

डिजिटल वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए, लाभार्थियों को प्रति डिजिटल लेनदेन ₹1 का प्रोत्साहन मिलता है, जो प्रति माह अधिकतम 100 लेनदेन तक होता है । यह राशि सीधे उनके आधार-लिंक्ड बैंक खाते में क्रेडिट की जाती है । डिजिटल लेनदेन प्रोत्साहन पारंपरिक कारीगरों को डिजिटल अर्थव्यवस्था में एकीकृत करने और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने की दिशा में एक सूक्ष्म लेकिन प्रभावी कदम है, जिससे उनकी पारदर्शिता और पहुंच बढ़ती है। कई पारंपरिक कारीगर अभी भी नकद लेनदेन पर निर्भर रहते हैं। डिजिटल लेनदेन के लिए प्रोत्साहन उन्हें UPI जैसे आधुनिक भुगतान विधियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करता है। यह न केवल उनके वित्तीय लेनदेन को अधिक सुरक्षित और कुशल बनाता है, बल्कि उनके वित्तीय रिकॉर्ड को भी औपचारिक बनाता है, जो भविष्य में अन्य वित्तीय सेवाओं तक पहुंच बनाने में सहायक हो सकता है। यह पारदर्शिता बढ़ाता है और नकदी पर निर्भरता कम करता है।

विपणन सहायता

कारीगरों और शिल्पकारों को विपणन सहायता प्रदान की जाती है, जिसमें गुणवत्ता प्रमाणन, ब्रांडिंग, GeM (Government e-Marketplace) जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर ऑनबोर्डिंग, विज्ञापन, प्रचार और मूल्य श्रृंखला से जुड़ाव में सुधार के लिए अन्य विपणन गतिविधियां शामिल हैं । राष्ट्रीय विपणन समिति (NCM) इस समर्थन को प्रदान करने के लिए स्थापित की गई है । यह सहायता कारीगरों को केवल उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, अपने उत्पादों को प्रभावी ढंग से बेचने और नए बाजारों तक पहुंचने में सक्षम बनाती है। ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर उपस्थिति से उन्हें भौगोलिक बाधाओं को पार करने और राष्ट्रीय और यहां तक कि वैश्विक ग्राहकों तक पहुंचने का अवसर मिलता है, जिससे उनकी आय और व्यवसाय का पैमाना काफी बढ़ सकता है।  

उद्यम असिस्ट प्लेटफॉर्म पर पंजीकरण

योजना लाभार्थियों को औपचारिक MSME पारिस्थितिकी तंत्र में ‘उद्यमी’ के रूप में उद्यम असिस्ट प्लेटफॉर्म पर पंजीकृत करने की सुविधा प्रदान करती है । यह उन्हें बड़े बाजार और सरकारी योजनाओं से जुड़ने में मदद करता है। उद्यम असिस्ट प्लेटफॉर्म पर पंजीकरण उन्हें औपचारिक ‘उद्यमी’ के रूप में पहचान दिलाता है। MSME मंत्रालय की वर्ष-अंत समीक्षा में ‘MSME औपचारिककरण को बढ़ावा देने’ पर जोर दिया गया है । यह पारंपरिक कारीगरों को MSME क्षेत्र के व्यापक लाभों, जैसे सरकारी खरीद में प्राथमिकता, विभिन्न योजनाओं के तहत सब्सिडी, और अन्य नीतिगत समर्थन तक पहुंच प्रदान करता है। यह उनके व्यवसाय को अधिक संरचित और मान्यता प्राप्त बनाता है, जिससे दीर्घकालिक स्थिरता और विकास की संभावनाएं बढ़ती हैं।

तालिका: योजना के मुख्य लाभ

लाभ का प्रकारविवरणमुख्य बिंदु
पहचानकारीगरों को ‘विश्वकर्मा’ के रूप में औपचारिक पहचान मिलती है।प्रमाणपत्र और आईडी कार्ड
कौशल उन्नयनपारंपरिक कौशल को औपचारिक बनाने और उन्नत करने के लिए प्रशिक्षण।₹500/दिन वजीफा
टूलकिट प्रोत्साहनआधुनिक उपकरण खरीदने के लिए वित्तीय सहायता।₹15,000 ई-वाउचर
ऋण सहायतासंपार्श्विक-मुक्त ‘उद्यम विकास ऋण’।₹3 लाख तक का ऋण @5% ब्याज
डिजिटल लेनदेन प्रोत्साहनडिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन।₹1/डिजिटल लेनदेन (अधिकतम 100/माह)
विपणन सहायताउत्पादों के विपणन और बाजार पहुंच में सुधार के लिए समर्थन।GeM पर ऑनबोर्डिंग, ब्रांडिंग, प्रचार
उद्यम असिस्ट प्लेटफॉर्म पर पंजीकरणऔपचारिक MSME पारिस्थितिकी तंत्र में ‘उद्यमी’ के रूप में एकीकरण।MSME क्षेत्र के लाभों तक पहुंच

तालिका: ऋण विवरण

ऋण घटकविवरण
ऋण किश्तें
पहली किश्त₹1 लाख तक
दूसरी किश्त₹2 लाख तक
चुकौती अवधि
पहली किश्त18 महीने
दूसरी किश्त30 महीने
ब्याज दर (लाभार्थी के लिए)5% प्रति वर्ष
सरकारी ब्याज सबवेंशन8% तक (MoMSME द्वारा बैंकों को अग्रिम भुगतान)
क्रेडिट गारंटी शुल्कभारत सरकार द्वारा वहन
पूर्व भुगतान जुर्माना6 महीने बाद कोई जुर्माना नहीं

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना: पात्रता मानदंड

PM Vishwakarma Yojana प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का लाभ उठाने के लिए, कारीगरों और शिल्पकारों को कुछ विशिष्ट पात्रता मानदंडों को पूरा करना होगा। ये मानदंड यह सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं कि योजना का लाभ वास्तव में उन लोगों तक पहुंचे जिन्हें इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है।

कौन आवेदन कर सकता है?

इस योजना के लिए आवेदन करने के लिए, आवेदक की आयु पंजीकरण की तिथि पर न्यूनतम 18 वर्ष होनी चाहिए । उन्हें योजना में निर्दिष्ट 18 पारंपरिक, परिवार-आधारित व्यवसायों में से किसी एक में हाथ और औजारों से काम करते हुए, अनौपचारिक क्षेत्र में स्वरोजगार के आधार पर संलग्न होना चाहिए । पंजीकरण की तिथि पर लाभार्थी को संबंधित व्यापार में सक्रिय रूप से संलग्न होना भी अनिवार्य है ।  

एक महत्वपूर्ण शर्त यह है कि लाभार्थी ने पिछले 5 वर्षों में स्वरोजगार या व्यवसाय विकास के लिए केंद्र सरकार या किसी राज्य सरकार की समान क्रेडिट-आधारित योजनाओं (जैसे PMEGP, PM SVANidhi, और Mudra) के तहत ऋण का लाभ नहीं उठाया होना चाहिए । हालांकि, मुद्रण और स्वनिधि के वे लाभार्थी जिन्होंने अपने ऋणों का पूरी तरह से पुनर्भुगतान कर दिया है, वे PM Vishwakarma Yojana के तहत पात्र हैं । ‘पिछले 5 वर्षों में समान ऋण योजनाओं का लाभ न उठाने’ की शर्त यह सुनिश्चित करती है कि योजना का लाभ नए लाभार्थियों तक पहुंचे और संसाधनों का दोहराव न हो, जबकि ‘मुद्रा और स्वनिधि के चुकाए गए ऋण वाले लाभार्थियों को छूट’ उन्हें प्रोत्साहित करती है जिन्होंने पहले सफलतापूर्वक ऋण चुकाया है। यह शर्त यह सुनिश्चित करने के लिए है कि सरकारी सहायता व्यापक रूप से वितरित हो और एक ही व्यक्ति को कई योजनाओं का लाभ न मिले, जिससे अन्य पात्र व्यक्तियों को अवसर मिले। हालांकि, मुद्रा और स्वनिधि के लाभार्थियों के लिए छूट एक स्मार्ट कदम है। यह उन लोगों को पुरस्कृत करता है जिन्होंने वित्तीय जिम्मेदारी दिखाई है और उन्हें आगे बढ़ने के लिए एक और अवसर प्रदान करता है, जिससे वित्तीय समावेशन और उद्यमिता को बढ़ावा मिलता है। यह योजना की समावेशिता और जिम्मेदारी को संतुलित करता है।  

अपात्रता की शर्तें

योजना के तहत पंजीकरण और लाभ एक परिवार के केवल एक सदस्य तक ही सीमित हैं । इस योजना के प्रयोजनों के लिए, ‘परिवार’ को पति, पत्नी और उनके अविवाहित बच्चों से मिलकर परिभाषित किया गया है । सरकारी सेवा में कार्यरत व्यक्ति और उनके परिवार के सदस्य इस योजना के तहत पात्र नहीं हैं । ‘एक परिवार में एक सदस्य’ की सीमा संसाधनों के समान वितरण और व्यापक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए है, ताकि अधिक से अधिक परिवारों को योजना का लाभ मिल सके। यदि एक परिवार के कई सदस्य योजना का लाभ उठा सकते हैं, तो यह संभव है कि कुछ ही परिवार सभी संसाधनों का उपभोग कर लें, जिससे अन्य जरूरतमंद परिवारों को लाभ से वंचित होना पड़ सकता है। ‘एक परिवार में एक सदस्य’ की नीति यह सुनिश्चित करती है कि योजना का लाभ व्यापक रूप से वितरित हो, जिससे अधिक से अधिक परिवारों को सशक्त बनाया जा सके और सामाजिक-आर्थिक असमानता को कम किया जा सके। यह योजना के सामाजिक न्याय के उद्देश्य के साथ संरेखित है।  

शामिल 18 पारंपरिक व्यापार

PM Vishwakarma Yojana 18 विशिष्ट पारंपरिक व्यवसायों में लगे कारीगरों और शिल्पकारों को सहायता प्रदान करती है। ये व्यवसाय भारत की समृद्ध हस्तशिल्प और पारंपरिक कलाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं।

  • बढ़ई (सुथार/बधई)  
  • नाव निर्माता  
  • शस्त्र निर्माता  
  • लोहार (Blacksmith (Lohar))  
  • हथौड़ा और टूल किट निर्माता  
  • ताला बनाने वाला  
  • सुनार (Goldsmith (Sonar))  
  • कुम्हार (Potter (Kumhaar))  
  • शिल्पकार (मूर्ति बनाने वाला, पत्थर तराशने वाला), पत्थर तोड़ने वाला  
  • मोची (चर्मकार)/जूते बनाने वाला/जूते का कारीगर  
  • राजमिस्त्री (Mason (Rajmistri))  
  • टोकरी/चटाई/झाड़ू बनाने वाला/कॉयर बुनकर  
  • गुड़िया और खिलौना निर्माता (पारंपरिक)  
  • नाई (Barber (Naai))  
  • माला बनाने वाला (Malakaar) (Garland Maker)  
  • धोबी (Washerman (Dhobi))  
  • दर्जी (Tailor (Darzi))  
  • मछली पकड़ने का जाल बनाने वाला  

18 पारंपरिक व्यवसायों की विस्तृत सूची यह दर्शाती है कि योजना का लक्ष्य केवल कुछ प्रमुख शिल्पकारों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह ग्रामीण और शहरी भारत में फैले विविध पारंपरिक कौशल सेटों को व्यापक रूप से कवर करती है, जिससे एक बड़े वर्ग को लाभ मिलता है। अक्सर, सरकारी योजनाएं केवल सबसे प्रमुख या आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करती हैं। हालांकि, PM Vishwakarma Yojana में बढ़ई, लोहार, कुम्हार जैसे सामान्य व्यवसायों के साथ-साथ नाव निर्माता, शस्त्र निर्माता, माला बनाने वाले और मछली पकड़ने का जाल बनाने वाले जैसे विशिष्ट और कम ज्ञात व्यवसायों को भी शामिल किया गया है। यह दर्शाता है कि सरकार का उद्देश्य भारत की विविध पारंपरिक कलाओं और शिल्पों को संरक्षित करना और उन्हें सशक्त बनाना है, भले ही उनका आकार या आर्थिक योगदान कुछ भी हो। यह योजना की समावेशिता और सांस्कृतिक संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

तालिका: शामिल 18 पारंपरिक व्यापार

क्रम संख्याव्यापार का नाम (हिंदी)व्यापार का नाम (अंग्रेजी)
1बढ़ई (सुथार/बधई)Carpenter (Suthar/Badhai)
2नाव निर्माताBoat Maker
3शस्त्र निर्माताArmourer
4लोहारBlacksmith (Lohar)
5हथौड़ा और टूल किट निर्माताHammer and Tool Kit Maker
6ताला बनाने वालाLocksmith
7सुनारGoldsmith (Sonar)
8कुम्हारPotter (Kumhaar)
9शिल्पकार (मूर्ति बनाने वाला, पत्थर तराशने वाला), पत्थर तोड़ने वालाSculptor (Moortikar, stone carver), Stone Breaker
10मोची (चर्मकार)/जूते बनाने वाला/जूते का कारीगरCobbler (Charmkar)/Shoesmith/Footwear Artisan
11राजमिस्त्रीMason (Rajmistri)
12टोकरी/चटाई/झाड़ू बनाने वाला/कॉयर बुनकरBasket/Mat/Broom Maker/Coir Weaver
13गुड़िया और खिलौना निर्माता (पारंपरिक)Doll & Toy Maker (Traditional)
14नाईBarber (Naai)
15माला बनाने वालाGarland Maker (Malakaar)
16धोबीWasherman (Dhobi)
17दर्जीTailor (Darzi)
18मछली पकड़ने का जाल बनाने वालाFishing Net Maker

आवेदन प्रक्रिया: चरण-दर-चरण मार्गदर्शिका

PM Vishwakarma Yojana के लिए आवेदन प्रक्रिया को सरल और सुलभ बनाने का प्रयास किया गया है, ताकि पारंपरिक कारीगर आसानी से इसका लाभ उठा सकें। यह प्रक्रिया मुख्य रूप से कॉमन सर्विस सेंटरों (CSCs) के माध्यम से की जाती है।

पंजीकरण के चरण

आवेदन प्रक्रिया मोबाइल और आधार सत्यापन से शुरू होती है। सबसे पहले, आवेदक को अपने मोबाइल नंबर का सत्यापन और आधार ई-केवाईसी पूरा करना होगा । यह आधार-आधारित बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण के माध्यम से PM Vishwakarma पोर्टल पर किया जाता है । सत्यापन के बाद, आवेदक को कारीगर पंजीकरण फॉर्म भरना होगा । इसमें आवेदक का नाम, कौशल सेट, आधार नंबर और अन्य आवश्यक जानकारी शामिल होती है । सफल पंजीकरण के बाद, लाभार्थी प्रधानमंत्री विश्वकर्मा डिजिटल आईडी और प्रमाणपत्र डाउनलोड कर सकते हैं । यह उन्हें ‘विश्वकर्मा’ के रूप में पहचान दिलाता है और उन्हें योजना के सभी लाभों के लिए योग्य बनाता है । प्रमाणपत्र प्राप्त होने के बाद, आवेदक योजना के तहत विभिन्न लाभों के लिए आवेदन करना शुरू कर सकते हैं ।  

सत्यापन प्रक्रिया

लाभार्थियों के नामांकन के बाद एक तीन-चरणीय सत्यापन प्रक्रिया का पालन किया जाता है। पहला चरण ग्राम पंचायत या शहरी स्थानीय निकाय (ULB) स्तर पर सत्यापन है । यह प्रारंभिक सत्यापन है जो स्थानीय स्तर पर आवेदकों की प्रामाणिकता सुनिश्चित करता है। दूसरा चरण जिला कार्यान्वयन समिति द्वारा आवेदकों के विवरण की जांच और सिफारिश करना है । यह समिति आवेदनों का गहन मूल्यांकन करती है। अंतिम चरण स्क्रीनिंग समिति द्वारा अनुमोदन है । यह बहु-स्तरीय सत्यापन प्रक्रिया योजना में पारदर्शिता और धोखाधड़ी की रोकथाम के लिए एक मजबूत तंत्र प्रदान करती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि केवल वास्तविक और पात्र कारीगरों को ही लाभ मिले। किसी भी बड़े पैमाने की सरकारी योजना में धोखाधड़ी और अपात्र लाभार्थियों द्वारा लाभ उठाने का जोखिम होता है। यह बहु-स्तरीय सत्यापन प्रक्रिया (स्थानीय, जिला, और केंद्रीय स्तर पर) यह सुनिश्चित करती है कि प्रत्येक आवेदन की गहन जांच हो। ग्राम पंचायत/ULB स्तर पर सत्यापन स्थानीय ज्ञान का लाभ उठाता है, जबकि जिला और स्क्रीनिंग समितियां व्यापक जांच और अनुमोदन प्रदान करती हैं। यह प्रक्रिया योजना की अखंडता को बनाए रखने और यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है कि सार्वजनिक धन का उपयोग सही उद्देश्य के लिए हो।  

आवेदन कहाँ करें?

इस योजना के लिए आवेदन करने के लिए, आपको अपने निकटतम कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) पर जाना होगा । आप सीधे ऑनलाइन आवेदन नहीं कर सकते । CSC उपयोगकर्ता CSC लॉगिन के माध्यम से कारीगरों को पंजीकृत कर सकते हैं । सरकार एक विशिष्ट मोबाइल एप्लिकेशन जारी करने की भी योजना बना रही है । आधिकारिक वेबसाइट (pmvishwakarma.gov.in) पंजीकरण और लॉगिन विकल्पों के साथ-साथ योजना के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करती है । CSC (कॉमन सर्विस सेंटर) के माध्यम से आवेदन प्रक्रिया यह सुनिश्चित करती है कि योजना उन ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों के कारीगरों तक पहुंचे जहां डिजिटल साक्षरता कम हो सकती है या इंटरनेट तक पहुंच सीमित हो सकती है। यह डिजिटल डिवाइड को पाटने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है। यदि आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन होती, तो कई पारंपरिक कारीगर, विशेषकर दूरदराज के क्षेत्रों में, डिजिटल उपकरणों या ज्ञान की कमी के कारण योजना का लाभ नहीं उठा पाते। CSCs ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में डिजिटल सेवाओं के लिए एक महत्वपूर्ण बिंदु के रूप में कार्य करते हैं। CSCs के माध्यम से आवेदन अनिवार्य करके, सरकार यह सुनिश्चित करती है कि तकनीकी बाधाएं लाभार्थियों के लिए बाधा न बनें, जिससे योजना की पहुंच और समावेशिता बढ़ती है। यह एक जमीनी स्तर का दृष्टिकोण है जो वास्तविक जरूरतों को पूरा करता है।  

आवश्यक दस्तावेज

PM Vishwakarma Yojana के लिए आवेदन करते समय, आवेदकों को कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे। इन दस्तावेजों की उपलब्धता आवेदन प्रक्रिया को सुचारू और कुशल बनाती है।

आवश्यक दस्तावेजों की सूची इस प्रकार है:

  • आधार कार्ड  
  • मोबाइल नंबर  
  • बैंक खाता विवरण  
  • राशन कार्ड  
  • वोटर आईडी कार्ड  
  • पैन कार्ड  
  • अधिवास प्रमाणपत्र / स्थायी निवास प्रमाण  
  • पासपोर्ट आकार का रंगीन फोटो  
  • व्यवसाय का प्रमाण / कार्य-संबंधित दस्तावेज / प्रतिभा प्रमाणपत्र  
  • आय प्रमाणपत्र  
  • जाति प्रमाणपत्र (यदि लागू हो)  

दस्तावेजों की सूची में आधार कार्ड, मोबाइल नंबर और बैंक खाता विवरण का अनिवार्य होना ‘जन धन-आधार-मोबाइल (JAM) ट्रिनिटी’ के माध्यम से प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) और डिजिटल समावेशन के सरकार के व्यापक एजेंडे के साथ संरेखित है, जिससे लाभार्थियों तक सहायता सीधे और कुशलता से पहुंचाई जा सके। JAM ट्रिनिटी भारत सरकार की एक प्रमुख पहल है जिसका उद्देश्य सब्सिडी और लाभों को सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में हस्तांतरित करके रिसाव को कम करना और दक्षता बढ़ाना है। आधार कार्ड पहचान प्रदान करता है, मोबाइल नंबर डिजिटल संचार और सत्यापन सक्षम करता है, और बैंक खाता प्रत्यक्ष वित्तीय हस्तांतरण के लिए एक माध्यम प्रदान करता है। इन दस्तावेजों को अनिवार्य करके, योजना न केवल लाभार्थियों की पहचान को सत्यापित करती है बल्कि यह भी सुनिश्चित करती है कि वित्तीय सहायता बिना किसी मध्यस्थ के सीधे उनके खातों में पहुंचे, जिससे पारदर्शिता और प्रभावशीलता बढ़ती है।  

‘व्यवसाय का प्रमाण’ या ‘प्रतिभा प्रमाणपत्र’ की आवश्यकता यह सुनिश्चित करती है कि योजना का लाभ केवल उन लोगों को मिले जो वास्तव में पारंपरिक व्यवसायों में लगे हुए हैं, जिससे योजना के मूल उद्देश्य को बनाए रखा जा सके। चूंकि यह योजना विशिष्ट पारंपरिक व्यवसायों के लिए है, इसलिए यह सत्यापित करना महत्वपूर्ण है कि आवेदक वास्तव में उस व्यापार में संलग्न है। व्यवसाय का प्रमाण या प्रतिभा प्रमाणपत्र यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि योजना का लाभ उन लोगों तक पहुंचे जो अपनी पारंपरिक कला और कौशल के माध्यम से आजीविका कमा रहे हैं, न कि उन लोगों तक जो केवल वित्तीय सहायता प्राप्त करना चाहते हैं। यह योजना की विश्वसनीयता और लक्षित प्रभावशीलता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।  

तालिका: आवश्यक दस्तावेजों की सूची

क्रम संख्यादस्तावेज का नाम (हिंदी)दस्तावेज का नाम (अंग्रेजी)टिप्पणी
1आधार कार्डAadhar Card
2मोबाइल नंबरMobile Number
3बैंक खाता विवरणBank Account Details
4राशन कार्डRation Card
5वोटर आईडी कार्डVoter ID Card
6पैन कार्डPAN Card
7अधिवास प्रमाणपत्र / स्थायी निवास प्रमाणDomicile Certificate / Permanent Resident Proof
8पासपोर्ट आकार का रंगीन फोटोPassport size color photograph
9व्यवसाय का प्रमाण / कार्य-संबंधित दस्तावेज / प्रतिभा प्रमाणपत्रProof of Occupation / Work-related documents / Talent certificate
10आय प्रमाणपत्रIncome Certificate
11जाति प्रमाणपत्रCaste Certificateयदि लागू हो

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नवीनतम अपडेट और आंकड़े

PM Vishwakarma Yojana ने अपने लॉन्च के बाद से उल्लेखनीय प्रगति की है, जो पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों के सशक्तिकरण में इसके बढ़ते प्रभाव को दर्शाती है।

योजना की प्रगति

योजना 17 सितंबर, 2023 को शुरू की गई थी । MSME मंत्रालय के वर्ष-अंत की समीक्षा के अनुसार, 2024 में 24.77 लाख कारीगरों ने इस योजना के तहत पंजीकरण कराया है । जनवरी 2025 तक, योजना के तहत 26.87 लाख लाभार्थियों को सफलतापूर्वक पंजीकृत किया गया है । यह दिखाता है कि योजना की पहुंच लगातार बढ़ रही है। कुल ₹2,197.72 करोड़ का संपार्श्विक-मुक्त ऋण वितरित किया गया है, जिससे कारीगरों को अपने व्यवसायों का विस्तार करने में पर्याप्त बढ़ावा मिला है । लाभार्थियों की संख्या में तीव्र वृद्धि (2024 में 24.77 लाख से जनवरी 2025 तक 26.87 लाख) और ₹2,197.72 करोड़ के ऋण वितरण से पता चलता है कि योजना का कार्यान्वयन प्रभावी रहा है और यह जमीनी स्तर पर व्यापक रूप से स्वीकार की जा रही है, जिससे पारंपरिक कारीगरों के बीच इसकी विश्वसनीयता बढ़ रही है। योजना सितंबर 2023 में शुरू हुई थी। कुछ ही महीनों में, 2024 के अंत तक 2.47 मिलियन से अधिक पंजीकरण और फिर जनवरी 2025 तक लगभग 2.7 मिलियन तक पहुंचना एक प्रभावशाली वृद्धि दर है। यह दर्शाता है कि योजना के बारे में जागरूकता बढ़ रही है, और कारीगर इसके लाभों को समझ रहे हैं और उन तक पहुंच बना रहे हैं। बड़ी मात्रा में ऋण वितरण यह भी पुष्टि करता है कि वित्तीय सहायता घटक सक्रिय रूप से काम कर रहा है, जिससे कारीगरों को अपने व्यवसायों का विस्तार करने के लिए आवश्यक पूंजी मिल रही है। यह संख्यात्मक वृद्धि योजना की सफलता और प्रभावशीलता का एक स्पष्ट संकेतक है।  

महत्वपूर्ण उपलब्धियां

रक्षा मंत्रालय ने PM Vishwakarma Yojana के 100 लाभार्थियों को उनके जीवनसाथी के साथ कर्तव्य पथ, नई दिल्ली में गणतंत्र दिवस परेड 2025 देखने के लिए “विशेष अतिथि” के रूप में आमंत्रित किया है । इनमें से 37 लाभार्थी महिलाएं हैं । ये लाभार्थी विभिन्न राज्यों के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों से संबंधित हैं, जिनमें पूर्वोत्तर राज्य और चार केंद्र शासित प्रदेश शामिल हैं, कुछ आकांक्षी जिलों से भी हैं । यह निमंत्रण इन लाभार्थियों को सशक्त बनाने और प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से है । गणतंत्र दिवस परेड में लाभार्थियों को ‘विशेष अतिथि’ के रूप में आमंत्रित करना न केवल कारीगरों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाता है, बल्कि यह योजना के सामाजिक महत्व को भी उजागर करता है और पारंपरिक शिल्पों के प्रति राष्ट्रीय गौरव की भावना को बढ़ावा देता है, जिससे अधिक लोगों को इस क्षेत्र में आने के लिए प्रेरणा मिलती है। गणतंत्र दिवस भारत का एक प्रमुख राष्ट्रीय उत्सव है। इस तरह के एक प्रतिष्ठित कार्यक्रम में योजना के लाभार्थियों को आमंत्रित करना एक प्रतीकात्मक और शक्तिशाली कदम है। यह केवल वित्तीय सहायता प्रदान करने से कहीं अधिक है; यह पारंपरिक कारीगरों के काम और उनके योगदान को राष्ट्रीय मंच पर मान्यता देता है। यह कदम कारीगरों के बीच गर्व और सम्मान की भावना पैदा करता है, साथ ही यह आम जनता के बीच योजना के बारे में जागरूकता भी बढ़ाता है। यह एक प्रेरक शक्ति के रूप में कार्य करता है, जो अन्य कारीगरों को योजना में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करता है और पारंपरिक शिल्पों को एक सम्मानित पेशे के रूप में स्थापित करता है।  

MSME मंत्रालय ने MSME औपचारिकीकरण को बढ़ावा देने पर भी ध्यान केंद्रित किया है। सरकार का उद्यमों को औपचारिक बनाने पर ध्यान महत्वपूर्ण रहा है। दिसंबर 2024 के अंत तक, 5.70 करोड़ MSME उद्यम प्लेटफॉर्म पर पंजीकृत हो चुके थे, जिससे 24.14 करोड़ से अधिक लोगों के लिए रोजगार सृजित हुआ । पुनर्गठित क्रेडिट गारंटी योजना के तहत 2024 में ₹2.44 लाख करोड़ की 19.90 लाख गारंटी स्वीकृत की गईं। यह योजना विशेष रूप से महिला उद्यमियों को लाभ पहुंचाती है, महिला-स्वामित्व वाले उद्यमों के लिए गारंटी कवरेज 90% तक बढ़ गया है । जून 2024 में शुरू की गई MSME-TEAM पहल ने 5 लाख MSME को डिजिटल रूप से सशक्त बनाया, जिनमें से आधे महिला उद्यमियों के स्वामित्व में हैं। यह सूक्ष्म और लघु उद्यमों को कैटलॉग तैयार करने, खाता प्रबंधन, लॉजिस्टिक्स और पैकेजिंग जैसी सेवाएं प्रदान करके ई-कॉमर्स क्षेत्र में प्रवेश करने में मदद करती है । लैंगिक समानता पर केंद्रित यशस्विनी अभियान महिला उद्यमियों को औपचारिक बनाने, सलाह देने और उनकी क्षमता बढ़ाने के लिए शुरू किया गया था। NITI आयोग और ग्रामीण विकास मंत्रालय के सहयोग से, अभियान ने महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है । 2024 में, MSME मंत्रालय ने अमेरिका और मिस्र जैसे देशों के साथ कई महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापनों (MoUs) पर हस्ताक्षर किए, जिससे द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा मिला और ज्ञान साझाकरण और प्रौद्योगिकी अपनाने के माध्यम से MSME क्षेत्र को बढ़ावा मिला । खादी और ग्रामोद्योग क्षेत्र में बिक्री में नाटकीय वृद्धि देखी गई है, जो 2014-15 में ₹33,135.90 करोड़ से बढ़कर 2023-24 में ₹1,55,673.13 करोड़ हो गई है, जिससे ग्रामीण भारत में सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा मिला है ।  

MSME मंत्रालय की अन्य संबंधित पहलों (जैसे MSME-TEAM, यशस्विनी अभियान, क्रेडिट गारंटी योजना में वृद्धि) के साथ PM Vishwakarma Yojana का उल्लेख यह दर्शाता है कि यह योजना एक बड़े, समन्वित सरकारी प्रयास का हिस्सा है जिसका उद्देश्य MSME क्षेत्र को समग्र रूप से सशक्त बनाना है, न कि केवल एक अलग पहल। प्रदान किए गए विवरणों में केवल PM Vishwakarma Yojana के बारे में ही नहीं, बल्कि MSME मंत्रालय द्वारा की गई अन्य पहलों जैसे MSME-TEAM पहल, यशस्विनी अभियान, और क्रेडिट गारंटी योजना में वृद्धि का भी उल्लेख है। यह इंगित करता है कि PM Vishwakarma Yojana एक व्यापक रणनीति का हिस्सा है जिसका उद्देश्य MSME क्षेत्र में उद्यमिता, रोजगार और औपचारिककरण को बढ़ावा देना है। यह एक एकीकृत दृष्टिकोण है जहां विभिन्न योजनाएं एक-दूसरे का समर्थन करती हैं, जिससे कारीगरों और छोटे व्यवसायों के लिए एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण होता है। यह दर्शाता है कि सरकार का लक्ष्य केवल एक योजना के माध्यम से नहीं, बल्कि कई मोर्चों पर काम करके समग्र विकास हासिल करना है।  

FAQs

यहां प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना से संबंधित कुछ सामान्य प्रश्नों के उत्तर दिए गए हैं:

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना क्या है?

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना भारत सरकार की एक पहल है जिसका उद्देश्य असंगठित क्षेत्र में कारीगरों और शिल्पकारों को वित्तीय सहायता और कौशल विकास प्रदान करके सहायता करना है।

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?

प्राथमिक उद्देश्य कारीगरों के बीच आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना और उनके उत्पादों की गुणवत्ता, पैमाने और पहुंच को बढ़ाना है । 

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत कौन से 18 व्यापार शामिल हैं?

18 व्यवसायों में बढ़ईगीरी, लोहार, सुनार, कुम्हार, दर्जी, मोची और कारीगरों द्वारा पारंपरिक रूप से किए जाने वाले अन्य व्यवसाय शामिल हैं । (विस्तृत सूची के लिए ‘शामिल 18 पारंपरिक व्यापार’ अनुभाग देखें)।  

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना की ब्याज दर क्या है?

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत ब्याज दर रियायती है, जिससे ऋण केवल 5% प्रति वर्ष पर उपलब्ध होता है । 

क्या प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के लिए कोई आयु सीमा है?

हां, पंजीकरण की तिथि पर आवेदक की न्यूनतम आयु 18 वर्ष होनी चाहिए ।

क्या सरकारी कर्मचारी इस योजना के लिए पात्र हैं?

 नहीं, सरकारी सेवा में कार्यरत व्यक्ति और उनके परिवार के सदस्य इस योजना के तहत पात्र नहीं हैं ।  

क्या एक परिवार के कई सदस्य इस योजना का लाभ उठा सकते हैं?

नहीं, योजना के तहत पंजीकरण और लाभ एक परिवार के केवल एक सदस्य तक ही सीमित हैं ।  

क्या मुझे प्रशिक्षण के दौरान वजीफा मिलेगा?

 हां, बुनियादी और उन्नत प्रशिक्षण कार्यक्रमों के दौरान प्रतिभागियों को ₹500 प्रति दिन का वजीफा प्रदान किया जाता है । 

टूलकिट प्रोत्साहन कितना है?

बुनियादी कौशल प्रशिक्षण की शुरुआत में ₹15,000 तक का टूलकिट प्रोत्साहन ई-वाउचर के रूप में प्रदान किया जाता है ।  

मैं योजना के लिए कैसे आवेदन कर सकता हूं?

आप अपने निकटतम कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) पर जाकर योजना के लिए आवेदन कर सकते हैं। आवेदन प्रक्रिया में मोबाइल और आधार सत्यापन, कारीगर पंजीकरण फॉर्म भरना और तीन-चरणीय सत्यापन शामिल है ।  

FAQs अनुभाग में ‘सरकारी कर्मचारी की अपात्रता’ और ‘एक परिवार में एक सदस्य’ जैसे प्रश्नों को शामिल करना यह दर्शाता है कि ये संभावित रूप से आम गलतफहमियां या अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न हैं, और इन्हें स्पष्ट रूप से संबोधित करना योजना के बारे में भ्रम को दूर करने में मदद करता है। FAQs अनुभाग अक्सर उन बिंदुओं को उजागर करता है जो उपयोगकर्ताओं के लिए सबसे अधिक भ्रमित करने वाले या महत्वपूर्ण होते हैं। ‘सरकारी कर्मचारी की अपात्रता’ और ‘एक परिवार में एक सदस्य’ की सीमाएं ऐसी शर्तें हैं जो अक्सर सरकारी योजनाओं में पाई जाती हैं और जिनके बारे में लोगों को अक्सर संदेह होता है। इन बिंदुओं को सीधे संबोधित करके, लेख उपयोगकर्ता के समय की बचत करता है और उन्हें गलत आवेदन करने से रोकता है, जिससे उपयोगकर्ता अनुभव बेहतर होता है और योजना के कार्यान्वयन में भी सुगमता आती है।  

निष्कर्ष

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना भारत के पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों के लिए एक परिवर्तनकारी पहल है, जो उन्हें वित्तीय सहायता, कौशल उन्नयन और बाजार पहुंच प्रदान करके सशक्त बनाने के लिए डिज़ाइन की गई है। 17 सितंबर, 2023 को अपने लॉन्च के बाद से , इस योजना ने लाखों ‘विश्वकर्माओं’ को औपचारिक अर्थव्यवस्था में एकीकृत करने और उनकी कला को पुनर्जीवित करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है। रियायती ब्याज दर पर संपार्श्विक-मुक्त ऋण, दैनिक वजीफे के साथ कौशल प्रशिक्षण, टूलकिट प्रोत्साहन, और डिजिटल लेनदेन व विपणन के लिए समर्थन जैसे व्यापक लाभों के साथ, यह योजना कारीगरों को आत्मनिर्भरता और आर्थिक स्थिरता की ओर बढ़ने में सक्षम बना रही है।  

नवीनतम आंकड़े, जिसमें 26 लाख से अधिक लाभार्थियों का पंजीकरण और ₹2,000 करोड़ से अधिक का ऋण वितरण शामिल है, योजना की व्यापक स्वीकार्यता और जमीनी स्तर पर इसके सकारात्मक प्रभाव को दर्शाते हैं। गणतंत्र दिवस परेड में लाभार्थियों को ‘विशेष अतिथि’ के रूप में आमंत्रित करना न केवल उनके योगदान को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता देता है, बल्कि पारंपरिक शिल्पों के प्रति गौरव की भावना को भी बढ़ाता है।  

यह योजना केवल वित्तीय सहायता से कहीं अधिक है; यह भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। ‘आत्मनिर्भर भारत’ एक व्यापक राष्ट्रीय अभियान है जिसका उद्देश्य भारत को आर्थिक रूप से स्वतंत्र और सशक्त बनाना है। प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना को इस बड़े एजेंडे के हिस्से के रूप में प्रस्तुत करना यह दर्शाता है कि पारंपरिक कारीगरों का सशक्तिकरण केवल उनके व्यक्तिगत उत्थान के लिए नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह योजना के महत्व को बढ़ाता है और इसे एक बड़े राष्ट्रीय उद्देश्य से जोड़ता है, जिससे पाठक को योजना के व्यापक प्रभाव की गहरी समझ मिलती है।  

योजना के ‘सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण’ के पहलू पर जोर देना यह दर्शाता है कि योजना का उद्देश्य केवल आर्थिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक भी है, जो भारत की पारंपरिक कलाओं और शिल्पों को आधुनिक चुनौतियों के बावजूद जीवित रखने में मदद करता है। पारंपरिक कलाएं और शिल्प अक्सर आधुनिकता और औद्योगिक उत्पादन के दबाव में लुप्त होने के कगार पर होते हैं। यह योजना न केवल कारीगरों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है, बल्कि उन्हें अपने पारंपरिक कौशल को बनाए रखने और विकसित करने के लिए भी प्रोत्साहित करती है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि भारत की समृद्ध और विविध सांस्कृतिक विरासत, जो इन शिल्पों में निहित है, संरक्षित रहे और अगली पीढ़ियों तक पहुंचाई जा सके। यह योजना के दीर्घकालिक सांस्कृतिक और सामाजिक प्रभाव को उजागर करता है। प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के माध्यम से, सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि हमारे पारंपरिक कारीगरों का कौशल और कला आने वाली पीढ़ियों के लिए जीवित रहे और वे देश की आर्थिक वृद्धि में सक्रिय रूप से योगदान दें।  

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